Anusar aur anunasik sabdo ka varn viched
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*अनुनासिक स्वरों के उच्चारण में मुँह से अधिक तथा नाक से बहुत कम साँस निकलती है। इन स्वरों पर चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग होता है जो की शिरोरेखा के ऊपर लगता है।
*अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यंजन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। हम जानेंगे की कब और क्यों इनका प्रयोग किया जाता है।
*अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यंजन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। हम जानेंगे की कब और क्यों इनका प्रयोग किया जाता है।
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अनुस्वार और अनुनासिक |
Explanation:
ऐसे व्यंजन जो अनुस्वार स्वर के बाद आते हैं को अनुस्वार कहा जाता है। हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार के रूप में प्रयोग करते हैं।
अनुस्वार का प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर किया जाता है।
अनुस्वार के वर्ण विच्छेद के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है:
- गंगा - ग् + अं + ग्+ आ
- चंचल - च् + अं + च् + अ + ल् + अ
- कंपन - क् + अं + प् + अ + न् + अ
अनुनासिक स्वर ऐसे स्वर को कहते हैं जिनके उच्चारण में मुँह से अधिक श्वास तथा नाक से बहुत कम साँस श्वास बाहर आती है। इन पर चंद्रबिंदु का प्रयोग करते हैं जो कि शिरोरेखा के ऊपर लगता है।
- साँप = स् + आँ + प् + अ
- चाँदनी = च् + आँ + द् + अ + न् + ई
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Anuswar aur anunasik me Antar spasht karo in hindi
brainly.in/question/4268420
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