anusashan ke liye dand jarrori nahi hai (against the motion).Give some few points in Hindi.
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यह सच है कि शिक्षा और शिष्टाचार सिखाने के लिए अनुशासन जरूरी है। हो सकता है अनुशासन के लिए दंड भी आवश्यक हो, लेकिन दंड इतना कभी नहीं होना चाहिए कि बच्चों के कोमल मन और उसके स्वाभिमान पर चोट करे, उसकी कोमल भावनाएं आहत हो।
बच्चों पर किये या हुए हिंसक और हृदय विदारक अत्याचार न केवल उनके बाल सुलभ मन को कुंठित करते हैं बल्कि उनके मन एक बात घर कर जाता है कि बड़ों (सबलों) को छोटों (निर्बल) पर हिंसा करने का अधिकार है। बाल सुलभ मन पर घर कर जाने वाली यही बात, कुंठा आगे चलकर निजी जिंदगी और सामाजिक जीवन में विषवेल के रूप में दिखाई देता है।
गलती करना इन्सान कि फितरत है और गलती को सुधार लेना इन्सान कि बुद्धिमता का परिचायक। गलती कोई भी करे, एहसास होने पर उसे भी दुख होता है। गलती पर दंड देने या प्रताड़ित करने से हो चुकी गलती को सुधार नहीं जा सकता है। प्रताड़ित करने और मन आहत करने के बजाये उसे बताया जाना चाहिए कि गलती हुई तो क्यों और कैसे ? उसके नुकसान का आंकलन बच्चों से ही कराएँ।
गलती एहसास कराने के लिए हिंसक होने कि जरूरत नहीं है, प्यार से बताएं। प्यार हर काम को आसन करता है। यह मुश्किल तो है लेकिन दुश्कर नहीं और परिणाम सौ प्रतिशत।
बच्चों पर किये या हुए हिंसक और हृदय विदारक अत्याचार न केवल उनके बाल सुलभ मन को कुंठित करते हैं बल्कि उनके मन एक बात घर कर जाता है कि बड़ों (सबलों) को छोटों (निर्बल) पर हिंसा करने का अधिकार है। बाल सुलभ मन पर घर कर जाने वाली यही बात, कुंठा आगे चलकर निजी जिंदगी और सामाजिक जीवन में विषवेल के रूप में दिखाई देता है।
गलती करना इन्सान कि फितरत है और गलती को सुधार लेना इन्सान कि बुद्धिमता का परिचायक। गलती कोई भी करे, एहसास होने पर उसे भी दुख होता है। गलती पर दंड देने या प्रताड़ित करने से हो चुकी गलती को सुधार नहीं जा सकता है। प्रताड़ित करने और मन आहत करने के बजाये उसे बताया जाना चाहिए कि गलती हुई तो क्यों और कैसे ? उसके नुकसान का आंकलन बच्चों से ही कराएँ।
गलती एहसास कराने के लिए हिंसक होने कि जरूरत नहीं है, प्यार से बताएं। प्यार हर काम को आसन करता है। यह मुश्किल तो है लेकिन दुश्कर नहीं और परिणाम सौ प्रतिशत।
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