anushasan par nibandh anushasan par nibandh
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अनुशासन अंग्रेजी के डिसिप्लिन(Discipline) शब्द का पर्याय है जो कि “डिसाइपल” शब्द से बना है जिसका अर्थ है शिष्य ,शिष्य से आज्ञा का अनुसरण करने की अपेक्षा की जाती है संस्कृत में ये शास धातु के शब्द से बना हुआ है जिसका अर्थ नियमों का पालन करना है।
अनुशासन का जीवन में विशेष महत्व है समस्त प्रकृति एक अनुशासन में बनकर चलती है इसलिए उसके किसी भी क्रियाकलापों में बाधा नहीं आती है दिन – रात नियमित रूप से आते रहते हैं इससे स्पष्ट है कि अनुशासन के द्वारा ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है अनुशासन से भटक जाने पर व्यक्ति चरित्रहीन ,दुराचारी तथा निंदनीय हो जाता है समाज में उसका कोई सम्मान नहीं रहता अनुशासन का मतलब ही है किसी भी कार्य को अनुशासित रहते हुए करना सफलता भी तभी प्राप्त होती है जब व्यक्ति अनुशासित रहता है।
विद्यार्थी का जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला होता है विद्यार्थी अनुशासन में रहकर स्वास्थ्य, शिक्षा , व्यवहार तथा आचार ग्रहण करता है नियमित रूप से अध्ययन करना, विद्यालय जाना ,व्यायाम करना ,गुरुजनों का आदर करना, उनकी कहे अनुसार चलना सब के साथ अच्छा व्यवहार करना इस सब की शिक्षा उसे विद्यार्थी जीवन में ही मिल जाती है और एक तरह से कह सकते हैं कि अनुशासन की शिक्षा और उनका पालन करना ही विद्यार्थी का कर्तव्य हे।
किसी भी बच्चे का सबसे पहले संपर्क अपने माता पिता से होता है परिवार से होता है अन्य प्रकार की शिक्षा के अलावा उसे अनुशासन की शिक्षा भी परिवार से ही प्राप्त होती है उसके बाद विद्यालय फिर ब्राहा समाज से अनुशासन की शिक्षा सीखता है शिक्षा का पहला पाठ तो अपने घर से ही सीखता है और यह अनुशासन भय से और सही दिशा-निर्देश से ही होता है अनुशासन में संस्कारों का दायित्व मिला रहता है इन संस्कारों से व्यक्ति में अनुशासन आता है व्यक्ति लड़ाई ,आतंक , अगर उसमें पनपती है यह सब घर के बाहर कीे शिक्षा होती है जो उस पर हावी होती है इसलिए संस्कार की शिक्षा अनुशासन यह सब हमारे परिवार हमारे घर की देन होती है।
अनुशासन का हमारे जीवन में कई लाभ है अनुशासन ना केवल हमारे जीवन को प्रत्येक क्षेत्र में लाभ दिलाता है साथ ही सम्मान भी दिलाता है अध्ययन ,व्यवहार ,खेलकूद ,व्यायाम, शासन आदि आत्मानुशासन के उपकरण है ।उन्हीं के द्वारा हम हमारे तन मन को स्वस्थ रख सकते हैं अनुशासन द्वारा ही उच्च आदर्शो को व्यक्ति पाता है अनुशासन ही उसे ज्ञान प्रदान करता हैं ।पवित्र मन और बुद्धि से ही ज्ञान का संचार होता है ।और इसमें अनुशासन का एक महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
जो व्यक्ति अनुशासन हीन है उसके जीवन में असफलता आलस्य ,हार यह सब घिरे रहते है। अनुशासन अप्रिय व्यक्ति समाज को भी नष्ट कर देता है दुर्भाग्यवश आज अनुशासनहीनता बड़ रही है स्कूल ,कॉलेज ,ऑफिस सभी जगह अनुशासनहीनता ने ले लिया है जिसके चलते लड़ाई झगड, काम चोरी ,जैसी चीजें पनप रही है रैंगिग जैसी खतरनाक कार्य जो कि अनुशासनहीनता द्वारा ही किया जाता है जिदके चलते ना जाने कितने ही बच्चे अपनी जान दे देते हैं धर्म और समाज में नियंत्रण समाप्त हो रहे हैं प्रशासन से अधिकारी, कर्मचारी, स्वयं अनुशासन हीन हो रहे हैं।
अनुशासन विपत्ति की पाठशाला मैं सिखा जाता है
…महात्मा गांधी
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