Hindi, asked by samreenkaur1, 4 months ago

anushed lekhan
वन रहेगे हम रहेंगे
[विचार-बिदु- • बनों का महत्त्व • वनों का नदियों और जीवों से संबंध • वन और पर्यावरण • हमारा कर्तव्य]

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Answered by anweshadebta040507
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प्राचीन काल से ही वन मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व रखते थे । यह मानव जीवन के लिए प्रकृति के अनुपम उपहार हैं । हमारे वन पेड़-पौधे ही नहीं अपितु अनेकों उपयोगी जीव-जंतुओं व औषधियों का भंडार हैं ।

वन पृथ्वी पर जीवन के लिए अनिवार्य तत्व हैं यह प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में पूर्णतया सहायक होते हैं । प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों, ऋषियों-मुनियों व संतों के लिए वन तपस्या का प्रमुख स्थान रहा है । इन्हीं वनों में महान ऋषियों के आश्रम रहे हैं जहाँ पर संत एवं उनके शिष्य रहते थे । समाज में इनका विशेष स्थान था जिन्हें लोग पूर्ण श्रद्‌धा एवं विश्वास से देखते थे ।

पूर्व चिकित्सकों एवं वैद्‌यों के लिए वन महान औषधियों का स्त्रोत थे। रामायण की कथा में मेघनाथ के अमोघ अस्त्र के प्रहार से लक्ष्मण का जीवन बचाने के लिए संजीवनी वनों में ही उपलब्ध थी । वृंदावन का भगवान श्रीकृष्ण एवं राधिका के पवित्र प्रेम से सीधा संबंध रहा है । उनका यह संबंध देवी-देवताओं के प्रकृति प्रेम को दर्शाता है ।

वनों में अनेक प्रकार के पेड़-पौधों का भंडार होता है जो विभिन्न प्रकार से मानव के लिए उपयोगी है । पीपल के वृक्ष का हमारे लिए आध्यात्मिक महत्व तो है ही साथ ही साथ यह अत्यंत गुणकारी भी है क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देकर मानव मात्र का कल्याण करता है । s

वैसे तो सभी वृक्ष दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व है परंतु पीपल के वृक्ष में ऑक्सीजन प्रदान करने का अनुपात अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक होता है । इसके अतिरिक्त नीम, बबूल, तुलसी, आँवला व शमी आदि वृक्षों का औषधि के रूप में विशेष महत्व है ।

वन मनुष्य के लिए ही नहीं अपितु समस्त जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक हैं । इनसे प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है । आज वनों के अधिकाधिक कटाव से अनेक महत्वपूर्ण जंतु लुप्त हो गए हैं तथा अनेक जंतुओं के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है । वनराज सिंह की संख्या में निरंतर कमी आ रही है । जंगली हाथियों की संख्या भी लगातार घट रही है । यही हाल अन्य जंतुओं का भी है ।

वन ऋतुचक्र एवं प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं । वन अधिक वर्षा के समय मिट्‌टी के कटाव को रोकते हैं तथा उसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सहयोग करते हैं । पेड़-पौधे अपनी जड़ों के द्‌वारा पृथ्वी के जल को अवशोषित करते हैं जो पुन: वाष्पित होकर वायुमंडल में बादल का रूप ले लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती है और यह चक्र निरंतर बना रहता है ।

परंतु मनुष्य की भी स्वार्थ लोलुपता एवं असंतोष की प्रवृत्ति से दिन-प्रतिदिन वृक्षों की संख्या के असंतुलन की संभावना उत्पन्न हो गई है । यही कारण है कि भूमि का कटाव बढ़ रहा है जिससे जलाशय दिन-प्रतिदिन सूखते जा रहे हैं । पानी की इस निरंतर कमी से जलीय-जंतुओं का अस्तित्व भी खतरे में पड़ रहा है ।

पेड़-पौधे पर्यावरण को शुद्‌ध रखने में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं । घरों, मोटर-गाड़ियों व कल-कारखानों से निकली कार्बन-डाइऑक्साइड को ये अवशोषित करते हैं जिससे वातावरण में वायु प्रदूषण के नियंत्रण में काफी सहायता प्राप्त होती है । इस प्रकार पेड़-पौधे पर्यावरण को सीधे रूप में प्रभावित करते हैं ।

अत: पेड़-पौधे मनुष्य के लिए ही नहीं अपितु समस्त जीव-जंतुओं के लिए आवश्यक हैं । इनके अभाव में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना असंभव है अत: यह हम सब के लिए आवश्यक है कि हम वन के महत्व को समझें । यह महत्वपूर्ण कार्य सामूहिक प्रयासों से ही संभव है । वृक्षारोपण कार्य को अधिक से अधिक विस्तार देना चाहिए तथा वे वन जो उजड़ने के कगार पर हैं वहाँ वृक्षों के कटाव पर रोक लगा देनी चाहिए।

सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह अधिक से अधिक वृक्ष लगवाए तथा उन सभी के लिए कड़े दंड का प्रावधान रखे जो अनधिकृत रूप से पेड़ों को निरंतर काट रहे हैं । केवल सरकार ही नहीं अपितु समस्त समाजसेवी संस्थानों तथा विशेष रूप से नवयुवकों को वृक्षारोपण की दिशा में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ।

वृक्षारोपण के महत्व को उजागर करने के लिए छात्र जीवन से ही इसके महत्व को बताया जाना चाहिए । छात्रों को इसके लिए प्रोत्साहित करने हेतु समय-समय विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजना करना चाहिए । अतएव वन मानव-जीवन के लिए ही नहीं अपितु सृष्टि के समस्त जीव-जंतुओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं । यह प्राकृतिक संतुलन एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नितांत आवश्यक है । वन प्रकृति का जीवों के लिए महत्वपूर्ण योगदान है । इस अमूल्य निधि को सुरक्षित रखना हम सब का उत्तरदायित्व है

वन संरक्षण हम सबकी एक जरूरत है । वनों का कटाव मानव सभ्यता के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है अत: प्रकृति एवं अपने जीवन में हरियाली कायम रखने के लिए वृक्षारोपण पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।

” घने–प्रेम तरु तले बैठ छाँह लो भव–आतप से तापित और जले । छाया है विश्वास की श्रद्‌धा सरिता कूल, सिंची आँसुओं से मृदुल है यह परागमय धूल, यहाँ कौन जो छले ! ”

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