anuswar, anunasik and nukta ke 20 words in hindi please
Answers
Answer:
जिस प्रकार अनुनासिक की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, वे अनुनासिक कहलाते हैं और इन्हीं स्वरों को लिखते समय इनके ऊपर अनुनासिक के चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है।
यह ध्वनि (अनुनासिक) वास्तव में स्वरों का गुण होती है। अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है।
जैसे -
कुआँ, चाँद, अँधेरा आदि।
अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार (बिंदु) का प्रयोग
अनुनासिक के प्रयोग में आपने देखा कि हमने बताया अनुनासिक स्वरों का गुण होता है और अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। यहाँ आपके मन में संदेह उत्पन्न हो सकता है कि स्वरों में तो इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ भी आते हैं तो अनुनासिक इन स्वरों वाले शब्दों में क्यों प्रयुक्त नहीं होता।
इसका एक कारण है और वह यह है कि जिन स्वरों में शिरोरेखा (शब्द के ऊपर खींची जाने वाली लाइन) के ऊपर मात्रा-चिह्न आते हैं, वहाँ अनुनासिक के लिए जगह की कमी के कारण अनुस्वार (बिंदु) लगाया जाता है।
इस नियम को उदाहरणों के माध्यम से समझेंगे -
नहीँ - नहीं
मैँ - मैं
गोँद - गोंद
इन सभी शब्दों में जैसा कि हम देख रहे हैं कि शिरोरेखा से ऊपर मात्रा-चिह्न लगे हुए हैं - जैसे ‘नहीं’में ई, ‘मैं’में ऐ तथा ‘गोंद’में ओ की मात्रा का चिह्न है61
इन शब्दों पर जब हम अनुनासिक (ँ) का चिह्न लगा रहे हैं, तो पाते हैं कि उसके लिए पर्याप्त स्थान नहीं है, इसीलिए इन सभी मात्राओं (इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ) के साथ अनुनासिक (ँ) के स्थान पर अनुस्वार (ं) लगाया गया है।
यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अनुनासिक (ँ) के स्थान पर अनुस्वार (ं) का प्रयोग करने पर भी इन शब्दों के उच्चारण में किसी प्रकार का अंतर नहीं आता।