any anuched lekhan for class 10 in 150 words
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Explanation:
स्वास्थ्य और व्यायाम
- एक स्वस्थ शरीर से ही आनंदमय जीवन की शुरुआत होती है। तन मन से स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन का आनंद उठा सकता है।
- व्यायाम एक ऐसी क्रिया है जो आपके शरीर को मजबूत करने, आपके तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने और आपकी आंतरिक शक्तियों को तेज करती हैं। व्यायाम निश्चित रूप से आपके शरीर को लाभान्वित करते हैं। व्यायाम करने से मानव शरीर तंदुरूस्त, स्वस्थ, सुंदर और सुडौल बनता है। भौतिक शरीर वाले व्यक्ति को हजारों की भीड़ से आसानी से पहचाना जा सकता है। व्यायाम करने से शरीर का अंग स्वस्थ रहता है। शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त बनता है। आलस्य भाग जाता है। दिन भर ऊर्जा और उत्साह बना रहता है। .
- व्यायाम का प्रभाव मन पर भी पड़ता है। शरीर के दुर्बल और रोगी होने से मन भी शिथिल हो जाता है। एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन और आत्मा रहती है। व्यायाम करने के बाद दिमाग तेज हो जाता है। उनके हाथ में जो भी काम होता है, जोश और उत्साह के साथ वह पूरा होता है।
Answer:
आज की आवश्यकता-संयुक्त परिवार
एकल परिवार का बढ़ता चलन
एकल परिवार और वर्तमान समाज
संयुक्त परिवार की आवश्यकता
बुजुर्गों की देखभाल
एकाकीपन को जगह नहीं।
समय सतत परिवर्तनशील है। इसका उदाहरण है-प्राचीनकाल से चली आ रही संयुक्त परिवार की परिपाटी का टूटना और एकल परिवार का चलन बढ़ते जाना। शहरीकरण, बढ़ती महँगाई, नौकरी की चाहत, उच्च शिक्षा, विदेशों में बसने की प्रवृत्ति के कारण एकल परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा बढ़ती स्वार्थ वृत्ति भी बराबर की ज़िम्मेदार है। इन एकल परिवारों के कारण आज बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, पालन-पोषण, माता-पिता के लिए दुष्कर होता जाता है।
जिस एकल परिवार में पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करते हों, वहाँ यह और भी दुष्कर बन जाता है। आज समाज में बढ़ते क्रेच और उनमें पलते बच्चे इसका जीता जागता उदाहरण हैं। प्राचीनकाल में यह काम संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा-चाची, ताई-बुआ इतनी सरलता से कर देती थी कि बच्चे कब बड़े हो गए पता ही नहीं चल पाता था। संयुक्त परिवार हर काल में समाज की ज़रूरत थे और रहेंगे।
भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार और भी महत्त्वपूर्ण हैं। बच्चों और युवा पीढ़ी को रिश्तों का ज्ञान संयुक्त परिवार में ही हो पाता है। यही सामूहिकता की भावना, मिल-जुलकर काम करने की भावना पनपती और फलती-फूलती है। एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आने की भावना संयुक्त परिवार में ही पनपती है। संयुक्त परिवार बुजुर्गं सदस्यों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
परिवार के अन्य सदस्य उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं जिससे उन्हें बुढ़ापा कष्टकारी नहीं लगता है। संयुक्त परिवार व्यक्ति को अकेलेपन का शिकार नहीं होने देते हैं। आपसी सुख-दुख बाँटने, हँसी-मजाक करने के साथी संयुक्त परिवार स्वतः उपलब्ध कराते हैं। इससे लोग स्वस्थ, प्रसन्न और हँसमुख रहते हैं
Explanation:
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