Hindi, asked by mishaelmartin61, 1 year ago

any one big poem of shailendra kumar kavi

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Answered by supriya1224
2
jis desh mea ganga behathehia

mishaelmartin61: actually other than that one
Answered by sanket994
3
जीने की तलाश मे…..!

 

जिंदगी की राह मे, जीने की तलाश मे,
सब ही कुछ बदल गया, मै भी वो न मैं रहा,
औरों की ही तरह मै भी, इसी भीड़ दौड़ मे,
एक पहिये की तरह, रफ्तार बन के रह गया………

जाने जाना था कहां, जाने आ गया कहाँ,
इस बड़े जहान मे, मेरा ही हूँ मैं कहाँ,
आत्मारहित हूँ,  काम मे मै व्यस्त यूं रहा,
सूर्य अस्त हो रहा या सूर्य उदय हो रहा,
ऐसी छोटी बातों का भ्रम मुझे सदा रहा…………

काम करता ही रहा, रात सोता ही रहा,
दिल के अरमानों कों, सपनों मे भी ना जगा सका.
दिन सुबह से शाम तक, यूं ही बस चला गया……
एक पहिये की तरह, रफ्तार बन के रह गया………

जीते ऐसी जिंदगी देखो आगे क्या हुआ,
जीवन की शाम आ चुकी, सूर्य भी है ढल चुका,
सपनों की चिता की रोशनी मे कुछ न दिख रहा,
चलते चलते थक गया, फिर भी चलता ही रहा……

चलते चलते थक गया, फिर भी ना मै रुक सका,
एक पहिये की तरह, रफ्तार बन के रह गया………
क्या यही है मेरी जिंदगी? यही मेरा जीवन रहा?
एक पहिये की तरह, रफ्तार बन के रह गया………?

….” विश्व- नन्द ” ……


mishaelmartin61: thank you soo much
sanket994: ok
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