Any one kavika of Mira bai in hindi
palbettujyothi:
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2. अच्छे मीठे फल चाख चाख
अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी।
ऐसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती।
नीचे कुल ओछी जात, अति ही कुचीलणी।
जूठे फल लीन्हे राम, प्रेम की प्रतीत त्राण।
उँच नीच जाने नहीं, रस की रसीलणी।
ऐसी कहा वेद पढी, छिन में विमाण चढी।
हरि जू सू बाँध्यो हेत, बैकुण्ठ में झूलणी।
दास मीरा तरै सोई, ऐसी प्रीति करै जोइ।
पतित पावन प्रभु, गोकुल अहीरणी।
(अचारवती=अचार-विचार से रहने वाली, एक
रती = रत्ती भर भी, कुचीलणी=मैले-कुचैले
वस्त्रों वाली, प्रतीति=विश्वास, रस की रसीलणी=
भक्ति-प्रेम-रस की रसिकता, छिन में विमाण चढ़ी=
मोक्ष पा गई,स्वर्ग चली गई, हेत=प्यार,प्रेम, गोकुल
अहीरणी=गोकुल की ग्वालिन;पूर्व जन्म की गोपी)
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई
पर्भु कंठ माला सोही
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई
तात मात बधु भ्राता अपना न कोई
पर्भु तात मात बधु
भ्राता अपना न कोई
ता गागन मुल्हि गयी क्या करेगा कोई
असुवन जल सींच सींच प्रेम बेल बोई
पर्भु असुवन जल सिच
पर्भु असुवन जल
सींच सींच प्रेम बेल बोई
दासी मीरा प्रभु लगन लगी
मीरा प्रभु लगन लगी
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई.
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई
पर्भु कंठ माला सोही
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई
तात मात बधु भ्राता अपना न कोई
पर्भु तात मात बधु
भ्राता अपना न कोई
ता गागन मुल्हि गयी क्या करेगा कोई
असुवन जल सींच सींच प्रेम बेल बोई
पर्भु असुवन जल सिच
पर्भु असुवन जल
सींच सींच प्रेम बेल बोई
दासी मीरा प्रभु लगन लगी
मीरा प्रभु लगन लगी
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई.
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