Hindi, asked by eshwarsai902, 4 months ago

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Answered by kingofqueen822
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Explanation:

लो यही है ना तुम्हारा ques. उसका आंसर सही है देख लो

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Answered by teju8910
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Explanation:

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक दिन पड़ोसी देश का दूत आया। यह राजा कृष्णदेव राय के लिए अनेक उपहार भी लाया था। विजयनगर के राजदरबारियों ने दूत का खूब स्वागत-सत्कार किया। तीसरे दिन जब दूत अपने देश जाने लगा तो राजा कृष्णदेव राय ने भी अपने पड़ोसी देश के राजा के लिए कुछ बहुमूल्य उपहार दिए।

राजा कृष्णदेव राय उस दूत को भी उपहार देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने दूत से कहा-‘हम तुम्हें भी कुछ उपहार देना चाहते हैं। सोना-चाँदी, हीरे,रत्न, जो भी तुम्हारी इच्छा हो, माँग लो।’ ‘महाराज, मुझे यह सब कुछ नहीं चाहिए। यदि देना चाहते हैं तो कुछ और दीजिए।’ दूत बोला। ‘महाराज, मुझे ऐसा उपहार दीजिए, जो सुख में दुख में सदा मेरे साथ रहे और जिसे मुझसे कोई छीन न पाए।’ यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय चकरा गए।

उन्होंने उत्सुक नजरों से दरबारियों की ओर देखा। सबके चेहरों पर परेशानी के भाव दिखाई दे रहे थे। किसी की भी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा कौन-सा उपहार हो सकता है। तभी राजा कृष्णदेव राय को तेनालीराम की याद आई। वह दरबार में ही मौजूद था। राजा ने तेनालीराम को संबोधित करते हुए पूछा-‘क्या तुम ला सकते हो ऐसा उपहार जैसा दूत ने माँगा है?’ ‘अवश्य महाराज, दोपहर को जब यह महाशय यहाँ से प्रस्थान करेंगे, वह उपहार इनके साथ ही होगा।’ नियत समय पर दूत अपने देश को जाने के लिए तैयार हुआ। सारे उपहार उसके रथ में रखवा दिए गए।

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