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प्रमोद दीक्षित 'मलय'
चले बचाने धरती को हम,
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
बच्चे हम संसार के।।
कल-कल बहती नदियां हों,
जल में पलता जीवन हो।
और तटों पर कलरव करता,
विहग वृन्द मनभावन हो।
धरती पर पौधे रोपें हम,
अपनी मधु मुस्कान के।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
धरती को हरियाली को,
हिम से पूरित प्याली को।
तनिक न घटने देंगे हम,
ओजोन परत की जाली को।
सुमन बिखेरें सकल धरा पर,
हम अपने श्रमदान से।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
धरती अपनी माता है,
पोषण-प्रेमभरा नाता है।
देती जल, फल, सब्जी,
अन्न, धरती भाग्य विधाता है।
चलो सजाएं धरती मां को,
हम अपने बलिदान से।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
साभार- देवपुत्र
चले बचाने धरती को हम,
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
बच्चे हम संसार के।।
कल-कल बहती नदियां हों,
जल में पलता जीवन हो।
और तटों पर कलरव करता,
विहग वृन्द मनभावन हो।
धरती पर पौधे रोपें हम,
अपनी मधु मुस्कान के।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
धरती को हरियाली को,
हिम से पूरित प्याली को।
तनिक न घटने देंगे हम,
ओजोन परत की जाली को।
सुमन बिखेरें सकल धरा पर,
हम अपने श्रमदान से।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
धरती अपनी माता है,
पोषण-प्रेमभरा नाता है।
देती जल, फल, सब्जी,
अन्न, धरती भाग्य विधाता है।
चलो सजाएं धरती मां को,
हम अपने बलिदान से।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के।
साभार- देवपुत्र
Sanjayuma:
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