Any story on imandari or Sachi mitrta in Hindi short story
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imandari ki kahani :-
एक बार सेम और उसकी बहन मैरी अपने दादा-दादी के घर गए हुए थे. एक दिन दोनों सेम और मेरी खेत में गुमने गए. सेम के हाथ में एक गुल्लेल था, लेकिंन सेम का कभी निशाना सही नहीं लगता था. खेत में उसने खूब प्रयास किया लेकिन उसका निशाना सही नहीं लगा. फिर वह उदास होकर वापस घर लौटने लगा. उसने मेरी को भी आवाज़ दी. दोनों भाई बहन वापस घर को लौटने लगे.
तब सेम आवेग से बाहर होकर गुल्लेल से निशाना एक बतख की तरफ लगाया, पत्थर सीधा बतख की गर्दन पर जाकर लगा. बतख की गर्दन टूट गयी और मर गयी.
सेम डर गया और उसने बतख को जंगल में छुपा दिया. इतना सब कुछ होने पर मेरी सेम के साथ ही थी. सेम ने मेरी को घर पर बताने से मना किया था.
शाम को जब खाना खाने के बाद दादी ने मेरी को बर्तन धोने के लिए कहा तो, मेरी ने सेम की तरफ आँखे की. सेम समझ गया की उसको मेरी की सहायता करनी हैं, वरना वह सबको बता देगी.
अगले दिन दादाजी ने पुछा बच्चो क्या मेरे साथ मछली पकड़ने चलोंगे, दोनों चलने को राजी हो गए. लेकिन दादी ने कहा कि मुझे खाना बनाने के लिए मेरी की सहायता की जरुरत पड़ेगी.
मेरी ने धीरे से सेम को कहा कि तुमको ‘बतख याद हैं न’.
सेम घर पर ही रुक जाता हैं और मेरी मछली पकड़ने के लिए दादाजी के साथ चली जाती हैं.
सेम ने डरते डरते दादी को सब कुछ सच बता दिया.
दादी घुटनों के बल झुकी और सेम को कहा बेटा मुझे सब पता हैं मैं तो बस यह देख रही थी कि तुम मेरी के इशारों पर कितने दिन नाचने वाले थे.
सीख -: हमेशा अपनी गलतियों को जल्दी ही स्वीकार कर लेना चाहिए. इससे अपराध जल्दी ही दूर हो जाता हैं.
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