anyaay sahan karna utna hi paap hai jitna ki anyaay karna. is vishay par 8 line ka lekh likhe
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Answer: वैसे तो सहिष्णुता या सहनशीलता एक गुण है किन्तु उसी सीमा रेखा तक जब तक आपके समक्ष अन्याय न घटित हो रहा हो अन्यथा ये गुण पाप में परिवर्तित हो जाएगा और आप जान भी नहीं पाएंगे | परिणामस्वरूप आपमें और उस पापी में कोई अंतर नहीं रह जाएगा |
वस्तुत: यदि आपकी सहनशीलता पाप कर्म में प्रवृत व्यक्ति का निषेध नहीं कर पाती तो वह व्यक्ति पापी वृति की ओर अग्रसर होते जाता है | आपकी अच्छाई उस बुरे व्यक्ति की बुराई को बढ़ावा देने का कारण बन जाती है | अतएव बुराई अथवा पाप का पुरजोर विरोध करें | यदि सामर्थ्य न हो तो भी उस निकृष्ट आचार को सदा एवं सतत नकारना कर उस स्थान का या ओहदे तथा पद का परित्याग कर देना चाहिए |
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