Anybody has a essay on परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए' स्पष्ट कीजिए in Hindi??
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Hum manushya baaki jiv jantuo se alag h kuyki hum me samarthya h ki hum apne karmo se bhagya pariwartan la saken. Paristithiyo ko to har prani swikar kar leta h chahe wo acchi ho ya buri parantu kelwal hum manushya hi unme apne karyo se antar la sakte h. Hume paristitiyo se ladna chahiye , unse jhuj kar aage ka marg prashast karna chahiye . Swyam me haar maan lene se haar hi hoti h aur swyam me jeet maan lene se jeet hi. Hume paristithiyo ko khushi av bal - pourush se shadra swikar kar unse bahar nikalna chahiye.
Kathinayiyo se door bhagna hume marg se door karta h , parantu kathinayiyo se shamaksh jane se hume upay milte h ki unse lad sake.
Kathinayiyo se door bhagna hume marg se door karta h , parantu kathinayiyo se shamaksh jane se hume upay milte h ki unse lad sake.
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परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए |
इस वाक्य मेरे विचार इस प्रकार है:
परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए| हमें मुसीबत परिस्थिति के सामने हार नहीं मारनी चाहिए | हमें परिस्थितियों से सिख कर आगे बढ़ना चाहिए| जीवन में हार मानकर हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते है| हार मान कर सब कुछ छोड़कर बैठ जाना मूर्खता होती है| हार के बाद ही जीत होती है|
बिना संघर्ष के जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है| जीवन में संघर्ष हमें बहुत कुछ सिखाता है| जीवन में यदि सब कुछ आसानी से मिल जाए तो उसका क्या फायदा | इसलिए हमें कभी भी डरना नहीं चाहिए| हार मुसीबत का सामना करना चाहिए|
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