Anyokti alankar ke udaran
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अन्योक्ति' का अर्थ है- "अन्य के प्रति कही गई उक्ति"। इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। उदाहरण- नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल । अली कली ही सौं बिध्यौं आगे कौन हवाल ।। उपरोक्त पंक्तियों में भ्रमर और कली का प्रसंग अप्रस्तुत विधान के रूप में है, जिसके माध्यम से राजा जयसिंह को सचेत किया गया है, अत: अन्योक्ति अलंकार है।[1]
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अलंकार
काव्य सुंदर बढ़ाने के साधन को अलंकार कहते हैं । यानी काव्य की सुंदरता बढ़ाने वाले गुण धर्म को अलंकार कहते हैं ।
अन्योक्ति का अर्थ होता है = ( अन्य - दूसरा )
अन्योक्ति अलंकार
जब काव्य में उपमान ( अप्रस्तुत ) के माध्यम से उपमेय ( प्रत्यक्ष ) का वर्णन किया जाता हो तो वहां अन्योक्ति अलंकार होता है । इसे प्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं ।
उदाहरण
जिन - दिन देखे वे कुसुम गई सुबित बहार ,
अब अलि रही गुलाब में अपत कंटीली डार ।
- अली :- भौंडा / गुणी व्यक्ति
- अपत :- पत्रहीन , गुणहीन व्यक्ति ।
फूलों के आसपास रहकर भी कांटे उदास
फूलों के आसपास रहकर भी कांटे उदास रहते हैं ।
फूल :- सुख सुविधा प्राप्त / प्रेमिका
कांटा :- प्रेमी / अभाव
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