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निजी और सार्वजनिक कंपनी मे अंतर इस प्रकार से है--
1. एक निजी कंपनी मे अंश या ऋण पत्रों को क्रय करने के लिए निमंत्रण नही दे सकती है। जबकि सार्वजनिक कंपनी अपने अंशो या ऋण पत्रों को क्रय करने के लिए निमंत्रण दे सकती है।
2. निजी कंपनी की न्यूनतम प्रदत्त अंश पूंजी 1 लाख रूपये होते है। सार्वजनिक कंपनी की न्यूनतम प्रदत्त पूंजी 5 लाख रूपये होते है।
3. निजी कंपनी के हस्तान्तरण पर प्रतिबंध होता है। सार्वजनिक कंपनी का स्वतंत्र हस्तान्तरण हो सकता है।
4. निजी कंपनी का स्वामित्व का क्षेत्र व फैलाव संकुचित होता है और प्रायः परिवार के सगे-सम्बन्धियों तक ही सीमित होता है। जबकि सार्वजनिक कंपनी का क्षेत्र निजी कंपनी से बहुत व्यापक होता है और इसके अंशधारी विस्तृत क्षेत्र (देश-विदेशों) मे भी पाये जाते है।
5. निजी कंपनी समामेलन का प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के बाद व्यापार का सकती है। सार्वजनिक कंपनी को समामेलन के प्रमाण पत्र के बाद व्यापार प्रारंभ करने का प्रमाण पत्र भी प्राप्त करना पड़ता है।
6. निजी कंपनी को प्रविवरण का स्थानांतरण विवरण पत्र निर्गमित नही करना होता। अंश आबंटन के पूर्व सार्वजनिक कंपनी को अपना प्रविवरण विवरण-पत्र निर्गमित करना आवश्यक है।
7. निजी कंपनी के संचालकों के अवकाश ग्रहण, ऋण, पारिश्रमिक पर प्रतिबंध नही है। जबकि सार्वजनिक कंपनी मे संचालकों की नियुक्ति, अवकाश ग्रहण, पारिश्रमिक पर कुछ प्रतिबंध लागू होते है।
8. निजी कंपनी अपने अंशो का आबंटन समामेलन के तुरंत बाद कर सकती है। जबकि सार्वजनिक कंपनी अपने अंशो का आबंटन तब तक नही कर सकती जब तक न्यूनतम अंशदान न प्राप्त हो जाये।
9. निजी कंपनी के लिये वैधानिक सभा बुलाना आवश्यक नही है। सार्वजनिक कंपनी मे वैधानिक सभा बुलाना अनिर्वाय है।
10. निजी कंपनी के संचालक उन ठहरावों के संबंध मे अपना मत दे सकते है जिनमे उनका अपना हित हो। सार्वजनिक कंपनी के संचालक को ऐसा अधिकार प्राप्त नही है।
11. निजी कंपनी वाहक अंश-अधिपत्र जारी नही कर सकते। जबकि सार्वजनिक कंपनी मे अंशों को पूर्णदत्त होने पर वाहक अंश-अधिपत्र भी जारी कर सकती है।
12. निजी कंपनी को अपने नाम के अंत मे " प्राइवेट लिमिटेड " शब्द लगाना पड़ता है। सार्वजनिक कंपनी को अपने नाम के अंत मे केवल " लिमिटेड " शब्द लगाना पड़ता है।
13. निजी कंपनी के सीमा-नियम पर कम-से-कम दो संचालकों के हस्ताक्षर आवश्यक होते है। सार्वजनिक कंपनी के सीमानियम पर कम-से-कम सात संचालकों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
14. निजी कंपनी मे संचालकों को ऋण देने मे केन्द्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता नही होती है। जबकि सार्वजनिक कंपनी द्वारा अपने संचालकों को भाग देने के पूर्व केन्द्र सरकार से लिखित अनुमति लेनी होगी।
15. निजी कंपनी के संचालकों को पारी से रिटायर होने की कोई आवश्यकता नही है। सार्वजनिक कंपनी मे 1/3 संचालनों को पारी से रिटायर्ड होना आवश्यक है।