anyone know gramshri story please explain me the story in hindi
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ग्राम श्री का अर्थ होता हैं गाँव की शोभा”। इस कविता के कवि सुमित्रानंदन पंत जी हैं जो एक छायावादी कवि माने जाते हैं। जिन्होंने प्रकृति व हरियाली से संबधित अनेक सुंदर कविताएं लिखी हैं।अपनी कविताओं में उन्होंने प्रकृति का मानवीकरण बहुत शानदार ढंग किया हैं।
कवि इस कविता में कड़ाके की ठंड के बाद ऋतुराज बसंत के आगमन से प्रकृति में होने वाली हलचल के बारे में बात कर रहे हैं। बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही धरती फिर से हरी-भरी होने के साथ ही सजने सँवरने लगती है। प्रकृति का आंचल अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों , फलों से खिल उठता है।
आम , लीची के पेड़ों में बौंर आने लगती है तो आडू , खुमानी के पेड़ रंग-बिरंगे फूलों से भर जाते हैं। रंग बिरंगी सब्जियां खेतों की शोभा बढ़ाने लगती हैं। मटर , अरहर के पौधों में फलियां आने लगती हैं तो अमरूद , संतरे , मौसंबी जैसे फल पक कर तैयार हो जाते हैं।
बेर की झाड़ियां बेरों से भर जाती हैं तो आंवले के पेड़ में छोटे-छोटे नए आंवले लगने शुरू हो जाते हैं। तितलियां फूल- फूल मंडराती फिरती हैं जो प्रकृति की शोभा में चार चांद लगा देती है।
सुमित्रानंदन पंत जी ने यहां पर प्रकृति का बहुत खूबसूरत वर्णन किया है। कहीं-कहीं पर प्रकृति का मानवीकरण भी किया है। इस पूरे काव्य खंड में अलंकारों का बहुत शानदार प्रयोग किया गया