Anyone please give me the meaning of this sulok as soon as possible
निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्यायत्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।।
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नीति में निपुण मनुष्य चाहे निंदा करें या प्रशंसा, धन या लक्ष्मी आयें या इच्छानुसार चलीजायें । आज ही मृत्यु हो जाये या फिर युगों के बाद हो, परन्तु धैर्यवान मनुष्य कभी भी न्याय के पथ से डगमग नही होते है।
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दिया गया श्लोक संस्कृत में धैर्यवान व्यक्ति के ऊपर आधारित है।
- इस श्लोक का अर्थ है जो कोई धैर्यवान होता है और अपने जीवन में धैर्य रखता है, जीत उस ही की होती है।
- बुद्धिमान लोग चाहे कितनी भी निंदा कर ले या कितनी भी स्तुति कर ले। माता लक्ष्मी आज आये या वापस लौट जाए। दुःख तो काफी होता है परन्तु इन सब से हमे मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए।आज या कल मृत्यु होना ही है।
- ये जीवन की रीत है। या तो कोई जल्दी मर जाता है या युगो युगो तक जीवित रहता है। परन्तु इन सब से ही विपरीत होकर धैर्यवान व्यक्ति न्याय के मार्ग पर चलता है।
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