Hindi, asked by mohdhasham, 1 year ago

Ap ke dwaara ki gayi yaatra ka varnan karte hue nibandh likhiye.
Plzzzzzzzz answer it fast as my sis has to do homework. .......:)

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Answered by armaanmalik285
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hii friend here is the answer of ur question
 
ऐतिहासिक स्थलों व धार्मिक स्थलों की यात्रा मैं कई बार कर चुका हूँ परन्तु पिछले ग्रीष्मावकाश में मुझे पर्वतीय स्थल की यात्रा करने का शुभ अवसर भी प्राप्त हुआ । मेरे पिता जी के एक मित्र नैनीताल में रहते हैं । मैंने कई बार अपने पिता जी से पर्वतीय स्थलो की यात्रा का आग्रह किया था ।ग्रीष्मावकाश में उन्होंने नैनीताल अपने मित्र के पास जाने का निश्चय किया । उन्होने पहले अपने मित्र को पत्र द्वारा सूचित किया । फिर हमने सपरिवार नैनीताल जाने का कार्यक्रम बनाया ।
विद्यालय से दृष्टियों पड़ने पर 20 मई को हमने दिल्ली से चलने का निश्चय किया । नैनीताल को प्रतिदिन उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसे जाती रहती हैं परन्तु ग्रीष्म काल में नैनीताल जाने के लिए काफी भीड़ रहती है इसलिये वहाँ के लिए करीब पाँच दिन पूर्व हमने आरक्षण के द्वारा अपनी सीटें बुक करा ली थी । हम परिवार के चार सदस्य थे माता-पिता और हम दो भाई-बहिन । 
20 मई को प्रात: बजे हम अपने घर से टैक्सी द्वारा अन्तर्राज्यीय बस अड्‌डे के लिए चल पड़े । 10 बजे बस के प्रस्थान का समय था । हमारे पास सामान भी कुछ अधिक हो गया था क्योंकि मेरे पिता जी ने बताया कि वहीं गर्मियो में भी गरम कपड़ों की आवश्यकता पड़ती है । इसलिए हम अपने साथ सर्दी के कपड़े, बिस्तर आदि ले गये थे ।
काठगोदाम से हमारी बस पहाड़ी के टेढ़े-मेढ़े सर्पाकार रास्तों पर चलने लगी । लेकिन वातावरण में एकदम परिवर्तन आ गया था ।मेरे पिता जी के मित्र वहाँ बस अड्‌डे पर हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे । कुली के द्वारा सामान लेकर हम अपने पिता जी के मित्र के घर चले गये ।
नैनीताल उत्तर प्रदेश की उत्तराखण्ड पर्वत माला में स्थित लगभग सात हजार फुट की ऊँचाई पर है । सभी पर्वतीय स्थलो में नैनीताल की अपनी एक विशेषता है । यहाँ पर सात हजार फुट की ऊँचाई पर एक बहुत गहरा तालाब है ।
हम प्रात: उनके साथ घूमने के लिए निकल पड़े । मेरे मन में वहाँ घूमने की बड़ी उत्सुकता हो रही थी । हमने अपनी यात्रा तल्लीताल से शुरू की । मेरे मित्र ने कहा कि पहले तल्लीताल हनुमान गढ़ी देखेगे । हम वहाँ पहुंचे जो एक सुन्दर पहाड़ी टीले पर स्थित है ।
मेरी इच्छा नाव द्वारा मल्लीताल जान को थी इसलिए हमने वहाँ से दो नावे ली और उन पर सवार होकर तालाब में नाव द्वारा मल्लीताल को चल पड़े । नाव मे बैठना मेरे लिये जीवन का प्रथम अवसर था । नाव द्वारा विहार करने में मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था । मल्लीताल पहुँच कर हमने वहाँ के कई दर्शनीय स्थल देखे । 

hope u got me^_^
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