अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार तथा एकाधिकारी बाजार में आगम वक्र ऋणात्मक ढाल क्यों लिये होते हैं?
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पूर्ण प्रतियोगिता बाजार के उस रूप का नाम है जिसमें विक्रेताओं की संख्या की कोई सीमा नहीं होती। फ़लतः कोई भी एक उत्पादक (विक्रेता) बाजार में वस्तु की कीमत पर प्रभाव नहीं डाल सकता। अर्थशास्त्र में बाजार को मुख्त्यः दो रूपों में बांटा जाता है : पूर्ण प्रतियोगिता और अपूर्ण प्रतियोगिता। बाजार संरचना के दो चरम बिन्दुओं पर पूर्ण प्रतियोगिता और एकाधिकार हैं।
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