अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति।
व्ययतः वृद्धिमायाति, क्षयमायाति सञ्चयात्।। anuvad in hindi
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हे सरस्वती ! तुम्हारा यह खजाना अद्भुत है, जो व्यय करने से बढता है और संग्रह करने से घटता है
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