Biology, asked by brajesh26511, 4 months ago

अपारभ्वी प्रभावी गुण क्या है

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Answered by cristy29
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Explanation:

अनुशासन प्रिय होना ---- एक नेतृत्व कर्ता को स्वयं अनुशासित जीवन जीना चाहिए ! और समय पर हर काम को पूरा करना चाहिए ! ऐसा होने पर ही उसके Subordinate और colleague अनुशासित रहेंगे और अपने निर्धारित कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास करेंगे !

श्रमशीलता --- जो व्यक्ति श्रम को ही पूजा मानते हैं तथा अपेक्षा से अधिक काम करने की चाहत व क्षमता रखते हैं ,वे ही अपने सहकर्मियों को और अधिक अच्छा करने की प्रेरणा दे सकते हैं !

उत्तरदायी होना ---व्यक्ति को अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार या उत्तरदायी होने के साथ -साथ अपने अंतर्गत काम करने वालों की गलतियों व असफलताओं के दायित्व को स्वीकार करने का साहस भी होना चाहिए ! ऐसा किये बिना उनके विश्वास को नहीं जीता जा सकता !

वस्तुनिष्ठ व्यवहार ---सफल नेतृत्व कर्ता के व्यवहार में निष्पक्षता एवं सोच में वस्तुनिष्ठता का गुण होना चाहिए ! इसके लिए Personal relationships को professional relationships से बिलकुल अलग रखा जाना चाहिए !

साहस ---नेतृत्वकर्ता को साहस का परिचय देते हुए चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए और अपना पुरुषार्थ करना चाहिए ! जो व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर और निर्भय नहीं होते हैं ,उनके नेतृत्व को बार-बार चुनोतियाँ मिलती रहती हैं और ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व को उसके सहकर्मी लम्बे समय तक स्वीकार नहीं कर पाते !

स्वनियंत्रण ---नेतृत्व कर्ता को अपनी वाणी एवं व्यवहार ,अपने नियंत्रण में रखना आना चाहिए ! क्योंकि नेतृत्व कर्ता के मर्यादाहीन व्यवहार से उसके नियंत्रण में काम करने वाले लोग भी मनमानी करने लगते हैं !

सही निर्णय लेने की क्षमता ---जो व्यक्ति अपने निर्णयों को बार-बार बदलता है , उसकी निष्पक्षता और बुद्धिमत्ता संदिग्ध रहती है ! इसीलिए नेतृत्व कर्ता को ठीक से सोच विचार कर दूरदर्शिता के साथ सही निर्णय लेना आना चाहिए !

स्पष्ट योजना ---एक सफल नेतृत्व कर्ता केवल अनुमान के आधार पर कोई कार्य नहीं कर सकता ! उसे कार्य की योजना बनाना और योजनानुसार कार्य करना आना चाहिए !

सहानुभूतिपूर्ण सोच ---एक नेतृत्व कर्ता को सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण सोच वाला होना चाहिए ! साथ वालों का बुरा न हो और यथा संभव भला हो ,ऐसे व्यवहार से ही दूसरों का दिल जीता जा सकता है !

शालीन व्यवहार ---कहते हैं ,व्यक्ति वाणी से ही दोस्त और दुश्मन बनाता है ! वाणी में मिठास और व्यवहार में शालीनता व्यक्ति को समूह में स्वीकृति दिलवाती हैं ,जो नेतृत्व की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं !

सहकारिता की प्रवृति ---नेतृत्व कर्ता अपने हर काम को सहकार अर्थात एक सबके लिए ,सब एक के लिए की भावना से करता है ! वो अपने समूह की सफलता में ही अपनी सफलता देखता है !

अहम् से दूरी ---नेतृत्व कर्ता में अपनी कमजोरियों या गुणों के सम्बन्ध में किसी प्रकार की ग्रंथि नहीं होनी चाहिए ! उसे अपने अहम् को दूर रख यथार्थ को स्वीकार करने का साहस दिखाना चाहिए !

संस्थान के लिए समर्पण भावना ---जो अधिकारी अपने संस्थान के हितों के प्रति समर्पित नहीं होता , उसे अपने अधीनस्थों से भी ऐसी आशा नहीं रखनी चाहिए !

जानकारी की पूर्णता ---नेतृत्व कर्ता को अपने संस्थान के प्रत्येक कार्य की थोड़ी या अधिक जानकारी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए ! इसके अभाव में उसको सहायकों द्वारा मुर्ख बनाये जाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं !

संपर्कों से सुद्रढ़ता ---नेतृत्व कर्ता का व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक क्षेत्रों से भी संपर्क होना चाहिए और उनकी जरुरत के समय यथा संभव सहयोग भी करना चाहिए ! इससे उसे भी अन्य लोगों का सहयोग मिलेगा !

अनोपचारिक सम्बन्ध ---नेतृत्व कर्ता को अपने सम्बन्ध को प्रगाढ़ करने के लिए अपने साथियों की खुशियों में उत्सव मनाने और विपत्ति के समय सहानुभूति व्यक्त करने से संबंधों में प्रगाढ़ता बढती है !

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