"अपोषणीयो से पोषणीय विकास विषय पर पर एकलेख लिखिए ।
Answers
Answer:
Sorry can't understand the question.
plz write it in english.
Explanation:
गांधी जी ने बहुत पहले 'औद्योगीकरण' नामक बीमारी से बचने का रास्ता खोज लिया था, जो इसके इसके कुप्रभावों से समाज के हर वर्ग की रक्षा कर सके। वह रास्ता था स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, संसाधनों पर सबों को समान अधिकार, लघु उद्योगों का विकास, संसाधनों पर सबों का समान अधिकार, लघु उद्योगों का विकास, राजनीतिक शक्तियों का विकेन्द्रीकरण इत्यादि। गांधी जी को पूर्ण विश्वास था कि ये तरीके समाज के हर एक वर्ग का दूसरे वर्ग के साथ आर्थिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेंगे। पश्चिमी उद्योगवाद की काली कोख से पर्यावरण विनाश का दानव पैदा हुआ उसके बारे में गॉधी जी ने कहा था,' यह सभ्यता न तो नैतिकता की चिंता करती है न ही धर्म की। इसमें रहने वाले लोग शारीरिक सुख को ही जीवन का उद्देश्य बना लेते हैं। अब स्टीम इंजन के द्वारा एक ही आदमी जीवन के बहुत बड़े भाग को जोतकर बहुत ज्यादा धन इकट्ठा कर सकता है। इसे सभ्यता की निशानी कहा जा रहा है। आज ऐसे-ऐसे नये रोग पैदा हो रहे हैं जिनके बारे में लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। डॉक्टरों की एक बहुत बड़ी सेना इनक का उपचार ढूढने में व्यस्त है और अस्पतालों में बढ़ोतरी हो रही है। सभ्यता अधार्मिक है। यह अंग्रेजी राष्ट्र के अंगों को सड़ा रही है। इसका निश्चय ही परित्याग कर देना चाहिए। वर्चस्व,दासता, सत्ता, नियंत्रण, हिंसा, युद्ध और शोषण के मूल्यों द्वारा पोषित आधुनिक विज्ञान, तकनीक और औद्योगिकरण की दो शताब्दियों के पश्चात अब एक नयी विचारधारा उभर रही है जो मूलत: आध्यात्मिक और पर्यावरण है। दुनिया के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को अब महसूस होने लगा है कि गांधी जी द्वारा दिए गए सत्य और अहिंसा के संदेश मानवता के अस्तित्व के लिए कितने आवश्यक हैं। उनके द्वारा स्थापित मूल्य और आदर्श आज मानवीय और पर्यावरणीय चिंतन के अभिन्न अंग बन गए हैं। आज दुनिया का कोई भी पर्यावरणविद् यह नहीं कह सकता कि विश्व को आसन्न पर्यावरणीय त्रासदी से बचाने का गांधीवाद के अलावा भी कोई और विकल्प उपलब्ध है।