अपमान पूर्वक अमृत पीने से तो अच्छा है सम्मान पूर्वक विषपान पाठ के आधार पर अपने विचार बताइए
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राहू का अपमानित अमृत तो थोड़ा ही अंधेरा कर पाता है लेकिन मान का विषपान करने वाले भगवान शिव सब को खुशियां देकर ऊजाले की तरह सदा ही पूजे जाते और सबको नचाने वालों को वह नचाकर नटराज शिव बन जाते हैं तथा महारात्रि के कल्याण मयी शिव बनकर सम्मान की महाशिवरात्रि मनवाते हैं
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