अपने आस पास के कुछ विद्यालयों का सर्वेक्षण कीजिए तथा प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित मुद्दों की सूची तैयार कीजिए इन मुद्दों के समाधान हेतु तरीके सुझाइए
Answers
Questions : - अपने आस पास के कुछ विद्यालयों का सर्वेक्षण कीजिए तथा प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित मुद्दों की सूची तैयार कीजिए इन मुद्दों के समाधान हेतु तरीके सुझाइए. : -
Answers: - कुछ महीनों पहले देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक उद्बोधन(मन की बात) में गुणवत्ता के महत्व पर इन शब्दों में ज़ोर दिया थाः "अब तक सरकार का ध्यान देश भर में शिक्षा के प्रसार पर था किंतु अब वक़्त आ गया है कि ध्यान शिक्षा की गुणवत्ता पर दिया जाए। अब सरकार को स्कूलिंग की बजाय ज्ञान पर अधिक ध्यान देना चाहिए।" मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी घोषणा की थी कि "देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार सर्वोच्च प्राथमिकता होगा।" स्कूलिंग की बजाय ज्ञानार्जन पर ध्यान स्थानांतरित करने का अर्थ इनपुट से नतीजों पर ध्यान देना होगा।
राज्य सरकारों की साझेदारी के साथ केंद्र द्वारा प्रायोजित एवं भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) ने आरम्भिक शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने में यथेष्ट सफलता पाई है। आज देश के 14.5 लाख प्राथमिक विद्यालयों में 19.67 करोड़ बच्चे दाखिल हैं। स्कूली शिक्षा को बीच में छोड़ कर जाने की दर में यथेष्ट कमी आई है, किंतु यह अब भी प्राथमिक स्तर पर 16% एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 32% बनी हुई है, जिसमें उल्लेखनीय कमी करना आवश्यक है। एक सर्वेक्षण के अनुसार विद्यालयों से बाहर बच्चों की संख्या वर्ष 2005 में 135 लाख से घटकर वर्ष 2014 में 61 लाख हो गई, अंतिम बच्चे की भी विद्यालय में वापसी सुनिश्चित करने हेतु संपूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए।
जैसा कि स्पष्ट है कि भारत ने स्कूलिंग में निष्पक्षता एवं अभिगम्यता सुनिश्चित करने के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि एक औसत छात्र में ज्ञान का स्तर चिंता का विषय है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की पांचवी कक्षा के छात्रों की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पढ़ पाने की समझ से जुड़े प्रश्नों के आधे से अधिक प्रश्नों के सही जवाब दे पाने वाले छात्रों का प्रतिशत केवल 36% था एवं इस संबंध में गणित एवं पर्यावरण अध्ययन का आंकड़ा क्रमशः 37% एवं 46% है।
विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को सुधारने के लिये केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें नवीन व्यापक दृष्टिकोणों एवं रणनीतियों को बना रहे हैं। कुछ विशेष कार्यक्षेत्रों की बात करें तो अध्यापकों, कक्षा कक्ष में अपनाई जाने वाली कार्यविधियों, छात्रों में ज्ञान के मूल्यांकन एवं निर्धारण, विद्यालयी अवसंरचना, विद्यालयी प्रभावशीलता एवं सामाजिक सहभागिता से संबंधित मुद्दों पर कार्य किया जाना है।
प्रारंभिक शिक्षा से सम्बंधित मुद्दे इस प्रकार हैं :
1. विद्यालयों में पर्याप्त फर्नीचर उपलब्ध नहीं है। तीन चार विद्यार्थियों को एक ही बेंच पर बैठना पड़ता है। कई बच्चों को जमीन पर भी बैठना पड़ता है।
2. सब कक्षाओं में ब्लैकबोर्ड नहीं है।
3. अध्यापक पढ़ाने के लिए पठन सहायक सामग्री का उपयोग नहीं करते हैं।
4. अध्यापकों की पर्याप्त संख्या नहीं है।
5. अध्यापकों को उपयुक्त प्रशिक्षण नहीं प्राप्त है।
6. विद्यार्थी गरीब वर्ग के हैं इसलिए उनके लिए विद्यालय का शुल्क और अन्य सम्बंधित खर्चे जैसे पुस्तकों, यूनिफार्म, आदि पर पैसे खर्च करना कठिन है।
इन मुद्दों के समाधान हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं :
1. सरकार शिक्षा के लिए अधिक पैसे खर्च कर सकती है। वह विद्यालयों को आर्थिक सहायता प्रदान कर सकती है ताकि वे कक्षा में फर्नीचर और ब्लैकबोर्ड आदि लगा सकें।
2. अध्यापकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को महत्त्व देना चाहिए।
3. अध्यापकों को अच्छा वेतन दिया जाना चाहिए ताकि अधिक अध्यापक विद्यालयों में काम करने के लिए प्रोत्साहित हों।
4. विद्यालय के शुल्क और अन्य सम्बंधित खर्चों को कम करना चाहिए। संभव हो तो निशुल्क शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।