Social Sciences, asked by vaisona3252, 5 days ago

अपने आसपास के किसानों से मिलकर पारंपरिक बीज एवं संवध्दित बीज पर चर्चा कीजिए

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Answered by angadyawalkar09
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परिचय

आधुनिक मानव के उदभव व उसके विकास की कहानी बीजों के संरक्षण व रखरखाव से सीधे रूप से जुडी है| मनुष्य को जीवित रखने के लिए अन्न आवश्यक है जिसका उत्पादन बीजों के बिना असम्भव है| आज खेती के आधुनिकीकरण के कारण बीजों के लिए उत्पादन बीजों कम्पनियों पर निर्भर होते जा रहे हैं व साथ ही बीजों के रखरखाव के लिए विविध प्रकार के रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं| बीजों के लिए किसान की बीज कम्पनियों पर स्थिति में आनेवाले समय में अपने बीजों के आभाव व बाजार में बढ़ती बीजों की कीमतों की वजह से गरीब किसान बीज नहीं खरीद पायेगा या फिर वह कर्जें के दुशचक्र में फंसता चला जायेगा| इस तरह चीरे-धीरे स्वतः ही बीजों का संवर्धन किसान के हाथों से निकल कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हाथों में चला जा रहा है|

इस दुशचक्र में किसान को फंसने से बचाने के लिए हमें पारंपरिक देसी बीजों को बचाकर रखने व अन्न भंडारण की नई तकनीकों की इजाद करने की आवश्यकता है| किसान व बीजों को अपने पारम्परिक, प्राकृतिक तौर तरीकों व संसाधनों से अपने ही खेत खलियानों व घरों में बचा सकता है| गरीब किसानों के उज्वल भविष्य के लिए बीज बचाव के रासायनिक तौर तरीकों को बंद करना होगा| किसानों द्वारा बीज संग्रहण, संरक्षण व अन्न भंडारण के कुछ जैविक व प्राकृतिक तरीके द्वारा किसानों ने सदियों से बीजों को बचाया है, यहाँ पर प्रस्तुत किये गये हैं|

स्वस्थ एवं अच्छे बीजों का चयन

बीजों की गुणवत्ता, उनके एकत्रित करने के समय व तौर तरीकों पर निर्भर करती है| बीजों को एकत्रित करते समय यह ध्यान में रखना अति आवश्यक है कि अच्छी बढ़त वाले स्वस्थ पौधों की पहचान कर उनके ही बीज बचाए जाएँ| खड़ी फसल में निरोगी पौधों को पहचान आकर उनके ही बीज एकत्रित करें क्योंकि ऐसे बीजों में रोग से लड़ने की प्राकृतिक ताकत होती है| फल तथा सब्जियों के बीजों के लिए फल चुनाव करते समय यह ध्यान रखें की पौधा रोग ग्रसित न हो | पौधे पर फलों या फलियों की संख्या अन्य पौधों से अधिक हो व फलों का आकार बड़ा हो या फली पुर्णतः पकी हुई हों|

बीजों का संरक्षण

बीजों को साफ करके 3-4 दिन तक हल्की धुप में सुखाएं व ठंडा होने पर भण्डारण करें| सामन्यतः किसी भी प्रकार के बीज में 14% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए, अन्यथा बीज कीड़ों या फुफंद से ग्रसित हो जाते हैं| एक जैसे आकार के बीजों को संरक्षित करें| टूटे हुए तथा रोगग्रस्त बीजों को  चुगकर व छानकर अलग करें|  बीजों से कंकर-पत्थर, खरपतवार व अन्य फसलों के बीजों को अच्छी तरह साफ कर लें| बीजों में थोड़ा सा भूसा रहने दें| बीजों का भण्डारण कमरे में सूखे, ठन्डे व अंधरे स्थान पर नमी रहित, ठीक से बंद होने वाले शीशे, रिंगाल की टोकरी या टीन के डिब्बों अथवा मिट्टी के बर्तनों में करें ताकि बाहर के वातावरण का प्रभाव बीजों पर न पड़े| डिब्बों पर फसल का नाम, बीज कहाँ से कब एकत्रित किया गया है जरुर लिखें|

परम्परागत बीज भण्डारण

अनाज, दालों व बीजों के भण्डारण के परम्परागत तरीके निश्चित तौर से रसायनों के दुष्प्रभावों से रहित है| बीजों के भण्डारण के कुछ परम्परागत तरीके निम्न प्रकार से हैं:

नीम, डैंकण की पत्ती:  बीजों के भण्डारण के लिए मिट्टी, बांस या रिगाल के बर्तनों को नीम की पत्ती या खली की लुगदी से लीप दें| बीजों के भण्डारण के लिए उन्हें बर्तनों में भरें व भण्डारण से पहले उसे अच्छी तरह सुखाकर जिस बर्तन में अनाज रखें उस बर्तन की तली में नीम या डैंकण की सुखी पत्तियों की एक परत बिछाकर फिर बीज या अनाज डालें व बीच-बीच में इनकी एक और परत बिछाकर अनाज में सबसे ऊपर इन्हीं पत्तियों को बिछाकर तथा बर्तन का मुँह बंद कर मिट्टी या गोबर से लीप कर बंद कर दें|

नीम, डैंकण का आलावा अखरोट, आडू, टेमरू, कपूर व निर्गुड़ी (सिरोली) के पत्तों का भी प्रयोग किया जा सकता है| इन सभी पत्तियों के पाउडर को सुखाकर व बारीक़ पीसकर अच्छी तरह सूखे अनाज में मिलाने से बीज सुरक्षित रहते हैं|

नीम, डैंकण की गिरी व तेल: पत्तियों के बजाय तेल को उपयोग में लाना सरल है| दालों को सुरक्षित रखने के लिए नीम अथवा डैकण के तेल का प्रयोग करें| नीम व डैंकण के सक्रिय अवयव या तत्व, उसके बीजों अथवा गिरी में उपस्थित रहते हैं| नीम व डैंकण के बदले करंज की सुखी पत्तियों या तेल का प्रयोग कर सकते हैं|

सरसों व आरंडी के तेल सभी प्रकार के दालों के बीजों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयोग किया जा सकता है| बीजों को तेल के साथ तब तक मिलाएं जब तक सभी दानें तेल से चमकते दिखें|

टेमरू (मिस्वाक) : टेमरू की सुखी पत्तियों का प्रयोग किसी भी तरह के अनाज को संरक्षित करने के लिए किया जा सकता है| इनकी खुश्बू से चूहे भी दूर भागते हैं व कीड़े मर जाते हैं|

हल्दी का पाउडर : इसको सूखे अनाज में मिलाने से अनाज, तिलहन व दालें सुरक्षित रहती हैं|

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