अपन अनुभवा का साझा कीजिए।
ग्न 2. 'ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नीले नभ की सीमा पाने
लाल किरण-सी चोंच खोल
चुगते तारक अनार के दाने'
उपरोक्त काव्यांश को पढ़कर अपनी बेहतर समझ के लिए इस कविता के संदर्भ में अपने
शिक्षक या अभिभावक से दो प्रश्न पूछिए। उन प्रश्नों को नीचे लिखिए।
प्रश्न क)
।
प्रश्न
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अपन अनुभवा का साझा कीजिए।
ग्न 2. 'ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नीले नभ की सीमा पाने
लाल किरण-सी चोंच खोल
चुगते तारक अनार के दाने'
उपरोक्त काव्यांश को पढ़कर अपनी बेहतर समझ के लिए इस कविता के संदर्भ में अपने
शिक्षक या अभिभावक से दो प्रश्न पूछिए। उन प्रश्नों को नीचे लिखिए।
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