अपना अपना भाग्य का उदेश्य (1 page) (brainliest answer will get $ 6 patym)
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अपना अपना भाग्य, जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है ,जिसमें उन्होंने बड़े ही मार्मिक ढंग से एक गरीब बच्चे का चित्रण किया है . कहानी नैनीताल की भयंकर सर्दी से प्रारंभ होती है जहाँ पर एक १० -११ साल का बच्चा भूख और ठण्ड से मर जाता है . इस रचना के माध्यम से लेकाहक ने बड़े ही व्यंगपूर्ण ढंग से यह बताया है की समाज में अमीर वर्ग गरीब और वंचितों की सहताया नहीं करते हैं . अमीर लोग गरीबों की अनदेखी कर देते हैं . उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आते हैं , उनकी संदेद्नाएं ,भावनाएं मर चुकि होती हैं और जब गरीब आदमी गरीबी से लड़का हुआ मर जाता है तो वे अपना - अपना भाग्य कह कर स्वयं से सान्तवना देते हैं . प्रस्तुत कहानी में भी एक गरीब ठण्ड व सर्दी के कारण ठिठुरकर केवल इसीलिए मर जाता है क्योंकि किसी अमीर वर्ग ने उसके प्रति संवेदना नहीं दिखाई ,उसकी सहायता नहीं की .इसी सवेंदान्हीनता के कारण व्यंग किया गया है . एक गरीब बच्चा भूख और ठण्ड से दम तोड़ देता और हम उसे अपना भाग्य मान लेते हैं . इसी प्रकार सामाजिक विषमता तथा अमीर और गरीब के बीच गढ़री खायी को कहानी में दिखाया गया है . कहानी दुखांत है जोकि पाठकों को सामाजिक परिस्थिति पर सोचने के लिए मजबूर कर देता है .
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