Hindi, asked by bishtdhansingh97, 2 months ago

अपने अध्यापक को ऑनलाइन टेस्ट करने के लिए प्रार्थना पत्र ​

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Answered by sritejvelamala
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अपने प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखते हुए उन्हें ऑनलाइन अध्यापन में आने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए समस्या का निवारण का अनुरोध कीजिए​

सेवा में,

प्रधानाचार्य जी,  

डी.ए.वी पब्लिक स्कूल,

शिमला-171001,

दिनांक-3-11-2020

विषय : ऑनलाइन अध्यापन में आने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए समस्या का निवारण का अनुरोध प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र

महोदया जी,

       सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल में कक्षा दसवीं (बी) का छात्र हूँ। मैं आपको ऑनलाइन अध्यापन में आने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए समस्या का निवारण का अनुरोध सूचित करना चाहता हूँ| आए दिन ऑनलाइन अध्यापन में मुश्किलें आ रही है| मेरे घर में इंटरनेट का नेटवर्क नहीं आता | इसी कारण मैं ऑनलाइन अध्यापन कक्षा   में उपस्थित नहीं हो पाता है| मैं अपने विषय में सबसे पीछे होता जा रहा हूँ|

                     महोदय मैं आप से अनुरोध करना चाहता हूँ कि मुझे विषयों के नोट्स प्रदान करने की कृपा करें| मैं उन्हें समझ के पढ़ाई कर सकता हूँ| ऑनलाइन अध्यापन कक्षा में नेटवर्क की वजह से अच्छे से समझ नहीं पाता हूँ| आशा करता हूँ आप मेरी समस्या के विषय में विचार करेंगे| आप की महान कृपया होगी |  

धन्यवाद |

आपका आज्ञाकारी शिष्य,

रोहित दसवीं (बी)

Answered by Anonymous
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ग्रामीण इलाकों के बच्चों की दिक्क्तें

एक दिक्कत नेटवर्क की भी सामने आ रही है। लॉकडाउन के कारण अभी इंटरनेट का उपयोग बहुत हो रहा है, जिसके चलते स्पीड कम हो गयी है, इन बच्चों के परिवार के पास नेट प्लान भी कम राशि का होता है, जिससे नेट में बार-बार रुकावट आती है, पठन सामग्री डाउनलोड होने में ज्यादा समय ले रही है, क्वालिटी भी खराब होती है जिससे उसे पढ़ना और समझना बच्चों के लिए मुश्किल होता है। क्यू.एस. के सर्वे के अनुसार नेटवर्क की दिक्कत को देखें तो ब्रॉडबैंड/मोबाइल में सबसे ज्यादा प्रॉबलम खराब कनेक्टिविटी की ही आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अनुपलब्धता भी एक रुकावट है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2017-18 में गांवों में किये सर्वेक्षण के आधार पर भारत के केवल 47% परिवारों को 12 घंटे से अधिक जबकि 33% को 9-12 घंटे बिजली मिलती है और 16% परिवारों को रोजाना एक से आठ घंटे बिजली मिलती है।

हां, एक बात जरूर है कि निजी शिक्षा संस्थान अभिभावकों पर दबाव बनाकर इसका शुल्क वसूल कर रहे हैं। निजी स्कूलों ने अभिभावकों पर नयी पुस्तकें खरीदने और फिर फीस जमा करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर भी अभिभावकों के द्वारा फीस का विरोध किया जा रहा है। मानव एवं संसाधन विकास मंत्रालय को यह विषय गंभीरता से लेना चाहिए। ये बात सही है कि संस्थान के प्रबन्धन को भी वेतन सहित अन्य खर्चे वहन करना पड़ रहे हैं किन्तु विद्यालय या महाविद्यालय में शिक्षण कार्य नहीं होने से काफी खर्च घटे भी होंगे। सरकार को समन्वय स्थापित करते हुए दोनों पक्षों के आर्थिक हित सुरक्षित रखने संबंधी प्रबंध करना चाहिए।

मानसिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं

इन सबके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों में आंखों में समस्या होने लगी है। याद करने की शक्ति भी कम हो रही है। क्योंकि बच्चा हर चीज कंप्यूटर पर सेव कर लेता है। किताब से तो कोई पढ़ाई हो नहीं रही, जिससे बच्चा याद भी करे। शिक्षक मूल्यांकन के अभाव में बच्चे ऑनलाइन पाठ्यक्रम में उस रूचि से काम नहीं कर पा रहे जिस रूचि से वो विद्यालय में करते हैं। जिस तरह मोबाइल आने से हमें नंबर याद होना बंद हो गया है। उसी तरह से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की मेमोरी लॉस हो रही है।

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क्या किया जाए अब ?

मनोविश्लेषकों का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाई माध्यमिक कक्षा के बच्चों के लिए ठीक है, लेकिन कई प्ले स्कूल एवं प्रारंभिक स्कूलों द्वारा भी छोटे उम्र के बच्चों के लिए भी ऑनलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम शुरू की गई है। ऐसे में अभिभावकों को विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है। बड़े उम्र के बच्चों पर भी नजर रखे जाने की जरूरत है। लॉकडाउन को दो माह से अधिक समय बीत चुका है। घरों में अधिकांश समय मोबाइल और लैपटॉप से चिपके रहने के कारण बच्चों की रचनात्मक क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक विकास पर होगा।

-प्रियंका सौरभ

(रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस)

(कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार)

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