अपने बुजुर्गों की दिनचर्या के बारे में बताएँगे तथा सुझाव देंगे कि वे उनके जीवन में कैसे अधिक खुशियां ला सकते हैं
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Explanation:
पहले के समय में बच्चों को उनके दादा-दादी के साथ समय व्यतीत करने का काफी मौका मिलता था पर अब वे अलग परिवार बसाने की बढ़ती प्रणाली की प्रवृत्ति के कारण एक-दूसरे से कम ही मिल पाते हैं। जहाँ तक माता-पिता की बात है तो वे कई निजी और व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के कारण अपने बच्चों को दादा-दादी के पास ले जाने का पर्याप्त समय नहीं बचा पाते पर उन्हें किसी भी हाल में एक दूसरे के साथ समय व्यतीत करने के लिए कोशिश करनी होगी। यहां कुछ ऐसे सुझाव दिए गए हैं जो इस दिशा में काम में लिए जा सकते हैं:
अगर आप अपनी पेशेवर प्रतिबद्धताओं के कारण माता-पिता से नहीं मिल पाते हैं या उनके साथ लम्बा समय व्यतीत नहीं कर पाते हैं तो आप अपने बच्चों को कुछ दिनों के लिए अपने माता-पिता के घर छोड़ सकते हैं या अपने माता-पिता को अपने निवास स्थान पर रहने के लिए बुला सकते हैं।
यात्रा करना अक्सर एक परेशानी का सबब बन सकती है हालांकि यह आपको किसी के संपर्क में रहने से रोक नहीं सकती। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके बच्चे फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से नियमित रूप से आपके माता-पिता से बात करते रहें।
आप अपने बच्चों द्वारा लिखे गए पत्र और कार्ड पोस्ट उन्हें अपने दादा-दादी को भेजने के लिए कह सकते हैं। यह थोड़ा पुराने जमाने का एहसास दिला सकता है लेकिन यह निश्चित रूप से स्थायी प्रभाव डाल कर बंधनों के बीच की दूरी ख़त्म कर सकता है।
ई-कॉमर्स पोर्टल्स के आगमन के साथ उपहार भेजना आसान हो गया है। अपने बच्चों को अपने दादा-दादी के लिए उपहारों का चयन करने में मदद करें और उन्हें विशेष अवसरों पर भेजने में सहायता करें।
दादा-दादी द्वारा सिखाए गये जीवन के सबक किसी भी पुस्तकों को पढ़ कर या किसी भी कक्षा में पढ़ कर नहीं सीखे जा सकते। माता-पिता पोता-पोती और दादा-दादी के बीच जुड़ने के बिंदु हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि वे इस संबंध को जीवित बनाए रखें ।