अपने बारे में लिखो एंड तक
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किसी नयी किताब के प्रलोभन में आकर मैं डेट पर चली गयी थी। कहानी पढ़ने का, सुनने का मुझमें अपार लोभ है। मुझे भूत - प्रेत की कहानियों में बड़ा मज़ा आता है।
चाय - काॅफ़ी मिलती रहे तो मैं चौबीस घंटे काम कर सकती हूँ। (भाग्यवश मेरे बाॅस यहां नहीं हैं)।
मुझे लोगों के घर डोरबेल बजाकर भाग जाने में भी बड़ा आनंद मिलता है।
समूह में मैं चुप हो जाती हूँ। कई बार मैंने देखा है कि अधिकतर जगहों में 3 से ज्यादा लोग हो जाने पर सब केवल बोलते हैं, सुनता कोई नहीं।
मुझे बारिश में स्कूटर चलाना बहुत पसंद है।
मेरी पदवी ‘राजू’ है, यह मेरे पिता /दादा /पति का नाम नहीं है। राजू आंध्रप्रदेश के लोग होते हैं पर मैं अंतर्राज्य परिवार से हूँ। मेरे माता पिता दो अलग राज्य से हैं, मेरा जन्म तीसरे राज्य झारखंड में हुआ (जहाँ मैं अभी रहती हूं) , विवाह भी ‘एथनिक माइनाॅरिटी ‘ में किया।
मैं क़ोरा में कई वर्षों से सिर्फ उत्तर पढ़ती थी, अब लिखने का प्रयत्न करती हूँ। चूँकि मेरे उत्तरों को व्यू, अपवोट कम हैं मैं अपवोटर्स की प्रोफाइल में जाके उनके प्रश्नों को ज़रूर देखती हूँ और जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं हैं उनका उत्तर देने का प्रयास करती हूँ।
मुझे रोमांटिक फिल्म तथा किताबों से प्रेम नहीं है बिल्कुल। प्यार मुझे इतनी व्यक्तिगत भावना लगती है कि इसे काग़ज़ या पर्दे पर देखना जँचता नहीं। और अव्यवहारिक आशाएं भी पैदा नहीं होतीं। मुझे प्रेम और शादी की रीति एक लाॅटरी की तरह लगती हैं। भाग्य अच्छा हो तो सब अच्छा, नहीं तो इस फेरे में सैंकड़ों जीवन बर्बाद हुए हैं।
मैं बहुत जल्दी ऊब जाती हूं और नई चीजें ढूंढने लगती हूं।