अपने बचपन की एक रोमांचक कथा लिखिए कम-से-कम 100 शब्दों में|
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हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है।
सपने सुहाने लड़कपन के...
छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन।
Answer:
तांदुळवाडी नाम का एक गाव था ऊस गाव मे बहुत लोग रहते थे एक दिन मे गाव मे घुम रहा था तभि मेरे सामने (आदर्श)नाम का एक गेंडा खडा रह गया।
मे बहुत घबराया था तभि मेने देखा की उसका मूह अजिब होणे लगा मानो ऊसे कूच जोर से लगा था मेने ऊसे पास जाकर देखा तो ऊसे कूच लगा नही था बलकी लगी थी मतलब असे संडास लगी थी।
उसने मेरे पास देखा ओर फरररररररर से हगदिया उसने 2 पाव आपणे पिचवाडेसे छोडे ओर वह चला गया पर सच बोल रहा हू जीसने भी यह सवाल पुचा ना उसकी कासम 10 दिन तक वह बास मार रहा था।
सिखं=जादा समाजसेवा करणे जाओगे तो लोग तुम्हपर ही हग देते हे।
Explanation:
सावधान राहिये ,सतर्क राहिये।
जय हिंद।