अपने बचपन की कोई गलती स्मरण करें जिससे बड़ा होने पर आप ने स्वीकार किया हो
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कामवासना का दमन नहीं काबू करना सिखाता है योग। योग और धर्म-अध्यात्म में अक्सर यह पढऩे और सुनने को मिलता कि मनुष्य को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये। यानी काम-वासना और भोग-विलास से यथा संभव दूर रहना चाहिये। लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि जबरन काम की भावना को दबा दिया जाए। योग के क्षेत्र में अष्टांग योग को सबसे ज्यादा प्रामाणिक माना जाता है। अष्टांग योग की सिद्धियां प्राप्त करने के लिए यह अति आवश्यक है कि यम में बताए गए सभी चरणों का कड़ा पालन करें। यम का चतुर्थ चरण है ब्रह्मचर्य का पालन करना।
kamalmaurya7777:
Thanks
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