अपने चचेरे भाई को परीक्षा में कम अंक पाने पर सांताना पत्र लिखते हुए इसे आत्मविश्वासी तथा पश्चिमी की प्रेरणा दीजिए
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परीक्षा भवन,
प्रिय तरुण,
सदा प्रसन्न रहो। कल मैंने समाचार-पत्रों में तुम्हारा परीक्षा परिणाम देखा। इसे देखकर मैं खुशी से पागल हो गया कि तुम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हो। मैंने जब घर जाकर सबको तुम्हारे परिणाम के बारे में सूचना दी तो सबके चेहरे खिल उठे। माताजी ने फटाफट मिठाई मंगा कर पूरे मुहल्ले में बंटवा दी। सबने तुम्हारी इस अद्भुत सफलता पर तुम्हें बधाई दी।
इसे परिणाम द्वारा न केवल माता-पिता को सम्मान प्राप्त हुआ है, बल्कि तुम्हारे गुरुजनों का भी सिर शान से ऊँचा उठ गया है। तुम्हें अपने गुरुजनों का आभार प्रकट करना चाहिए, क्योंकि उन्हीं की अनुकम्पा से हम सबको यह दिन देखने को मिला है। तुमने जो कठिन परिश्रम करके अच्छे अंक प्राप्त किए उन पर हम सबको गर्व है। अपनी शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करना।
नम्रता मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है। तुम अपने सहपाठियों से कभी अभिमानपूर्ण बात मत करना। झुके वृक्षों पर फल अधिक लगते हैं। मैं आशा करता हूँ कि तुम इसी प्रकार कठिन परिश्रम करते हुए एक दिन सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँच जाओगे।
घर में सब कुशल मंगल है। शुभ कामनाओं के साथ।
तुम्हारा अग्रज,
क. ख. ग.
दिनांक : 17 जुलाई, 1999
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