Hindi, asked by dughhanjodughhanjo, 2 months ago

अपने छोटे भाई को कुसंगति की इनायत बताते हुए एक पत्र लिखिए​

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Answered by anujsharma44181
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अपने छोटे भाई को कुसंगति की इनायत बताते हुए एक पत्र

27, आवास विकास कालोनी,

27, आवास विकास कालोनी,काशीपुर, (उत्तरांचल)

27, आवास विकास कालोनी,काशीपुर, (उत्तरांचल)दिनांक : 02/2/21

प्रिय मनोज,

प्रिय मनोज,स्नेह ।

प्रिय मनोज,स्नेह ।कल ही मुझे तुम्हारे प्रधानाचार्य महोदय का पत्र प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से यह जानकर मुझे अत्यंत दुख हुआ कि तुम अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हो । साथ ही छात्रावास के नियमों की अवहेलना, मदिरापान करना, चलचित्र देखना तथा दिन-दिन भर आवारागर्दी करना तुम्हारी दैनिक आदतों में शामिल हो गया है ।

प्रिय अनुज, विद्‌यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में वह जो कुछ भी ग्रहण करता है उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है । कुसंगति में पड़कर तुम स्वयं अपना भविष्य नष्ट कर रहे हो । अभी समय है कुसंगति के मार्ग को छोड्‌कर तुम अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करो ।

प्रिय अनुज, विद्‌यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में वह जो कुछ भी ग्रहण करता है उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है । कुसंगति में पड़कर तुम स्वयं अपना भविष्य नष्ट कर रहे हो । अभी समय है कुसंगति के मार्ग को छोड्‌कर तुम अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करो ।मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम हमारी आशाओं पर खरे उतरोगे और आगामी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर दिखाओगे । पूज्य माता-पिता की ओर से तुम्हें आशीर्वाद ।

प्रिय अनुज, विद्‌यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में वह जो कुछ भी ग्रहण करता है उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है । कुसंगति में पड़कर तुम स्वयं अपना भविष्य नष्ट कर रहे हो । अभी समय है कुसंगति के मार्ग को छोड्‌कर तुम अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करो ।मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम हमारी आशाओं पर खरे उतरोगे और आगामी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर दिखाओगे । पूज्य माता-पिता की ओर से तुम्हें आशीर्वाद ।तुम्हारा भाई

प्रिय अनुज, विद्‌यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में वह जो कुछ भी ग्रहण करता है उन्हीं से उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है । कुसंगति में पड़कर तुम स्वयं अपना भविष्य नष्ट कर रहे हो । अभी समय है कुसंगति के मार्ग को छोड्‌कर तुम अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करो ।मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम हमारी आशाओं पर खरे उतरोगे और आगामी परीक्षाओं में अच्छे अंक लाकर दिखाओगे । पूज्य माता-पिता की ओर से तुम्हें आशीर्वाद ।तुम्हारा भाईसुरेश पांचाल

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