अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर बताइए कि योग और व्यायाम द्वारा वह किस प्रकार अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है?
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Explanation:
कोलकाता
कोलकाता16 अप्रैल 2003
कोलकाता16 अप्रैल 2003प्रिय प्रतुल/7 प्रिय ‘प’
कोलकाता16 अप्रैल 2003प्रिय प्रतुल/7 प्रिय ‘प’शुभाशीष ।
कोलकाता16 अप्रैल 2003प्रिय प्रतुल/7 प्रिय ‘प’शुभाशीष ।कल तुम्हारा पत्र मिला । तुमने लिखा है कि आजकल तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है । मुझे याद है कि इसी प्रकार पहले भी कई बार तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ता रहा है । इसी कारण पिछले साल तो तुम अपनी वार्षिक परीक्षा (annual examination) में भी शामिल नहीं हो सके थे और तुम्हारी एक साल की पढ़ाई बेकार हो गयी थी ।
कोलकाता16 अप्रैल 2003प्रिय प्रतुल/7 प्रिय ‘प’शुभाशीष ।कल तुम्हारा पत्र मिला । तुमने लिखा है कि आजकल तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है । मुझे याद है कि इसी प्रकार पहले भी कई बार तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ता रहा है । इसी कारण पिछले साल तो तुम अपनी वार्षिक परीक्षा (annual examination) में भी शामिल नहीं हो सके थे और तुम्हारी एक साल की पढ़ाई बेकार हो गयी थी ।तुम तो जानते ही हो कि स्वास्थ्य की रक्षा हमारे जीवन का पहला धर्म है क्योंकि यदि हम स्वस्थ न रहे तो जीवन में कुछ भी ठीक तरह से नहीं कर सकते । मेरी सलाह (suggestion) है कि यदि अपनी पढ़ाई से तुम्हें अधिक समय नहीं बचता है और व्यायामशाला (gim) नहीं जा सकते हो तो घर पर ही रोज सुबह कुछ साधारण योगासन किया करो और खुली हवा में रोज सुबह-शाम टहला करो, तो निश्चय ही तुम्हारा स्वास्थ्य सुधर जाएगा ।
कोलकाता16 अप्रैल 2003प्रिय प्रतुल/7 प्रिय ‘प’शुभाशीष ।कल तुम्हारा पत्र मिला । तुमने लिखा है कि आजकल तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है । मुझे याद है कि इसी प्रकार पहले भी कई बार तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ता रहा है । इसी कारण पिछले साल तो तुम अपनी वार्षिक परीक्षा (annual examination) में भी शामिल नहीं हो सके थे और तुम्हारी एक साल की पढ़ाई बेकार हो गयी थी ।तुम तो जानते ही हो कि स्वास्थ्य की रक्षा हमारे जीवन का पहला धर्म है क्योंकि यदि हम स्वस्थ न रहे तो जीवन में कुछ भी ठीक तरह से नहीं कर सकते । मेरी सलाह (suggestion) है कि यदि अपनी पढ़ाई से तुम्हें अधिक समय नहीं बचता है और व्यायामशाला (gim) नहीं जा सकते हो तो घर पर ही रोज सुबह कुछ साधारण योगासन किया करो और खुली हवा में रोज सुबह-शाम टहला करो, तो निश्चय ही तुम्हारा स्वास्थ्य सुधर जाएगा ।महात्मा गाँधी भी यही किया करते थे । आशा है, अगले ही पत्र के द्वारा तुम अपने अच्छे स्वास्थ्य की सूचना दोगे । शेष कुशल है ।
प्रिय राजेश,
सदा प्रसन्न रहो। कल पिताजी का पत्र आया था। उन्होंने तुम्हारे स्वास्थ्य के बारे । में लिखा था कि तुम कुछ दिनों से अस्वस्थ हो । परीक्षा में भी तुम्हारे कम अंक आए हैं।
स्वस्थ व्यक्ति संसार के समस्त सखों का भोग कर सकता है। परन्तु अस्वस्थ व्यक्ति के लिए सब कुछ बेकार है। स्वस्थ्य शरीर में स्वास्थ्य मस्तिष्क का विकास होता है। सभी काम चुस्ती-फूर्ति से हो सकते हैं।
अस्वास्थ्यता भी एक अभिशाप है। शरीर को शक्ति सम्पन्न बनाने के लिए तुम्हें व्यायाम का सहारा लेना होगा। व्यायाम करने से शरीर के अंग पुष्ट होते हैं। सहन शक्ति में वृद्धि होती है। रक्त का संचार ठीक प्रकार से होता है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
यदि तुम नियम से व्यायाम करोगे तो तुम कभी बीमार नहीं हो सकते । प्रायः उठकर सैर करने जाया करो। शाम को बैडमिंटन या फुटबाल खेला करो, जिससे तुम्हारे शरीर में स्फूर्ति का संचार हो। तुम अगले पत्र में अपनी दिनचर्या अवश्य लिखना। मेरे पत्र पर भी अमल करना न भूलना। माताजी व पिताजी को प्रणाम।
तुम्हारा भाई,
क. ख. ग.
दिनांक : 5 अप्रैल, 1999