अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मान व सद्व्यवहार की सीख दीजिये
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१२/३ लहरतारा
वाराणसी
८७८९००
प्रिय छोटे,
आशा है कि तुम कुशल एवं मंगल से हो तथा अपना हर काम समय के अनुसार करते हो। आज मैं तुमको एक बड़े भाई होने के नाते तुमको कुछ बातों से अवगत कराने जा रहा हूं। आज हम जिस समाज में रह रहे हैं। यहां सब मतलबी होते जा रहे हैं। कोई यहां किसी से मतलब नहीं रखता है।
मगर छोटे तुम कभी ऐसे मत बनना। हमेशा अपने से वरिष्ठ लोगों के साथ सद्व्यवहार करना। सबके साथ अच्छे से पेश होना। कोई कितना भी बुरा हो तुम बुरे मत बनना। आशा है कि तुमको मेरे कहने का आशय समझ में आ गया होगा।
तुम्हारे भैया।
वाराणसी
८७८९००
प्रिय छोटे,
आशा है कि तुम कुशल एवं मंगल से हो तथा अपना हर काम समय के अनुसार करते हो। आज मैं तुमको एक बड़े भाई होने के नाते तुमको कुछ बातों से अवगत कराने जा रहा हूं। आज हम जिस समाज में रह रहे हैं। यहां सब मतलबी होते जा रहे हैं। कोई यहां किसी से मतलब नहीं रखता है।
मगर छोटे तुम कभी ऐसे मत बनना। हमेशा अपने से वरिष्ठ लोगों के साथ सद्व्यवहार करना। सबके साथ अच्छे से पेश होना। कोई कितना भी बुरा हो तुम बुरे मत बनना। आशा है कि तुमको मेरे कहने का आशय समझ में आ गया होगा।
तुम्हारे भैया।
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