अपने छात्रावास के बारे में अपने मित्र को पत्र लिखिए
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आशा है, तुम वहाँ स्वस्थ एवं प्रसन्न होगे। तुमने अपने पत्र में छात्रावास के विषय में जानने की जिज्ञासा प्रकट की थी। उसी पत्र के उत्तर में मैं यह पत्र लिख रहा हूँ। मित्र, छात्रावास का जीवन अनुशासनबद्ध एवं आनंदपूर्ण होता है।
परीक्षा भवन
नयी दिल्ली
दिनाक
प्रिय नितिन
सस्नेह नमस्ते
तुम्हारा लिखा हुआ पता मुझे मिला, मानो तुम खुद ही मुझसे मिलने आ गए हो। उत्तर में देरी के लिए शमा चाहता हूँ। तुमने छात्रावास के जीवन के बारे में पूछा है। सच बात तो यह है की यहाँ के आनंद का वर्णन कर पाना कठिन है।
हमारे छात्रावास का भवन बिलकुल नया है। यह काफी साफ़ सुथरा भी है। चारो तरफ पेड़ पौधे लगे हुए है और दोनों और खुले लोन है।
सूर्योदय से पहले सुबह पांच बजे ही हमें जगा दिया जाता है। हम सोच आदि से निवृत होकर उद्यान में घूमने चले जाते है। वह योगासन, व्यायाम आदि करने के बाद दौड़ भी लगते है। वापस आकर हम दंतमंजन स्नान आदि से निपटकर नाश्ता करते है।
हमारे छात्रावास के प्रबंधक बहुत ही हास्यप्रिय व्यक्ति है। यदि किसी छात्र से कोई भूल हो भी जाये तो वे उसे हसी हसी में समझा भी देते है। मेने उन्हें कभी क्रोध करते नहीं देखा। हर एक को खुस रखने की तथा प्रत्येक व्यक्ति को मित्र बनाने की कला उन्हें खूब आती है। हमारे छात्रावास का भोजन बहुत बढ़िया है।
महीने में एक दिन रात्रि के समय हमारे छात्रावास में विनोद सभा अवश्य होती है। इसमें हम लोग कविता, कहानी, चुटकुले, गजल या कभी गीत गाने के साथ साथ नृत्य भी करते है।
विस्तार से फिर कभी मिलने पर
तुम्हारा स्नेही
अमर