अपना घर अपनी मातृभाषा पर निबंध लिखें
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अपना घर
सपने तो सपने ही होते हैं | उनके सच होने के की उम्मीद में ही हम सारी जिन्दगी बिता देते हैं | इस कहानी का शीर्षक है "अपना घर"
हर दिन की तरह आज भी रोहित की माँ सुबह होने से पहले ही उठ गई | उसका सिर्फ एक ही सपना है 'अपना घर' हो | एक कमरे में वैसे भी सारी जिन्दगी नहीं बितायी जा सकती | इसको पूरा करने के लिए वो मेरी तरफ नहीं देखती बल्कि मुझसे ज्यादा काम भी करती है | घर का हर काम-काज जैसे साफ सफाई, भैंस का दूध निकालना, रोटी बनाना इत्यादि मेरे उठने से पहले ही समाप्त कर लेती है| नाश्ते के बाद मेरे साथ खेतों में भी कंधे से कन्धा मिलकर काम करती है जैसे कि भैंस के लिए चारा लाना, खेतों में सिंचाई करना व बिजाई में सहयोग देना इत्यादि |
उसका यह सपना पूरा करने की धुन मेरे अन्दर भी एक आत्मविश्वास पैदा करती है | मेरा अपना घर पता नहीं कब बनेगा पर उम्मीद बनी हुयी है | मेरा अपना घर जब बन जाएगा मैं अपनी माँ का सपना पूरा कर पाउँगा , मान को तब बहुत खुशी होगी उनका अपना घर है वह कुछ भी कर सकती है अपने घर में |