अपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता
बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता को
और विजय कहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशा जनक ही होगा,
क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।
प्र
उपर्युक्त गद्यांश भाषा भारती कक्षा 8 के किस पाठ से लिया गया है?
(1)
पुपति शारा भाषा भारती के आत्मविश्वास नामक पाठ २
/
लिया गया है
इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए-
(1)
Answers
Answered by
0
Answer:
दुर्भाग्य = बुरा भाग्य; आत्महीनता = मन की हीन भावना; एकाग्रता = तल्लीनता; क्षमता = योग्यता, सामर्थ्य विश्वविख्यात = संसार में प्रसिद्ध; तल्लीनता = किसी काम में दत्तचित्त हो जाना; अभंग = अटूट, अखण्ड; सुगमता = आसानी; दुविधा = असमंजस; यथापूर्व = पहले की तरह अविचल = स्थिर, दृढ़ः सूक्ति = अच्छा कथन, सुभाषित; अखण्ड = जिसके टुकड़े न हो सकें, अटूट, समग्र रूप से; मर्सिया = शोक गीत।
Similar questions