अपने जीवन के अविस्मरणीय नौका विहार का वर्णन कीजिए।
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चांदनी रात में नौका विहार का जिस ने आनन्द नहीं लिया, वह प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य से वंचित ही रह जाता हैं. वैसे तो नौका विहार के लिए गोवा एवं केरल के समुद्री तट तथा कश्मीर, ओड़िसा एवं नैनीताल की झीले प्रसिद्ध हैं.
लेकिन इसके अतिरिक्त भी भारत में कई ऐसे जलाशय हैं, जो नौका विहार के लिए विशेष तौर पर प्रसिद्ध हैं. मैं ओडिशा भ्रमण के दौरान चिल्का झील की सैर करना चाहता था, वैसे तो मैं दिन में कई बार इस झील की सुन्दरता को निहार चुका हूँ, लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा था- इस झील के असली सौन्दर्य को यदि देखना हैं तो चाँदनी रात में नौका पर इसकी सैर कीजिए.
संयोगवश वह शरद ऋतु के शुक्ल पक्ष का समय था. हम सभी ने उसकी सलाह मानते हुए एक नौका एवं नौका चालक की व्यवस्था की और फिर निकल पड़े चाँदनी रात में नौका विहार का आनन्द लेने.
थोड़ी देर में हमें इस बात का आभास हो गया कि यह सैर हमारे लिए वास्तव में अविस्मरणीय बनने वाली हैं. चिल्का झील की सुन्दरता चाँदनी रात में वाकई देखने लायक थी. मुझे इस समय प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पन्त द्वारा रचित नौका विहार कविता की याद आ रही थी. चाँदनी रात में नौका विहार का वर्णन करते हुए उन्होंने लिखा हैं.
“चाँदनी रात का प्रथम प्रहर
हम चले नाव लेकर सत्वर
सिकता की स्सिमत सीपी पर
मोती की ज्योत्सना रही विचर
लो, पाले चढ़ीं उठी लंगर
मृदु मंद मंद मंथर मंथर
लघु तरणी हंसिनी सी सुंदर
तिर रही, खोल पालों के पर”
हम सभी मित्र उत्साहित थे. शरद ऋतु के शुक्ल पक्ष की चाँदनी यूँ भी मनमोहक लगती हैं. उस मनमोहक चाँदनी में चिल्का की ख़ूबसूरती में निखार आ गया था. थोड़ी देर तक हम यूँ ही घुमते रहे, इस सौन्दर्य का रसपान करते रहे. संगीत के रस में डूबकर नौका विहार के आनन्द को दोगुना करने का प्रबंध हम पहले से ही कर चुके थे.
सुमित अपने साथ गिटार लेकर आया था. गौरव को फोटोग्राफी का काम सौपा गया था. वाह कभी स्थिर फोटो लेता तो कभी हम सभी का विडियो बनाता. मैंने सुमित से गिटार पर एक खूबसूरत गीत छेड़ने का आग्रह किया, पर वह तो किसी ओर दुनियां में डूबा था.