अपने जीवन के सी हास्य व रोचक प्रसंग संबंध में 50 शब्दों में एक लघु अनच्छुेद लिखें|
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Explanation:
हास्य रस का जीवन में क्या महत्त्व है, यह आप उससे पूछिये जिसका जीवन नीरस हो चुका हो और जो अपने जीवन के निराशापूर्ण क्षणों को मृत्यु के चरणों में चढ़ाने को चंचल हो उठा हो। जीवन की सार्थकता सरस जीवन में है, नीरस जीवन में नहीं। नीरस मानव तो बहुत बड़ी चीज है, नीरस वृक्ष का भी उद्यान में कोई विशेष महत्व नहीं होता, इसके अतिरिक्त कि वह माली के हाथों का शिकार बन जाए। रस की सत्ता संसार में सर्वोपरि है। विद्वानों ने इसे “रस वै सः” कहकर ब्रह्म की उपाधि से विभूषित किया है। यही रस हिन्दी साहित्य में श्रृंगार, हास्य, करुणा रौद्र वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत, शान्त और वात्सल्य नाम से दस प्रकार का माना जाता है। समय और परिस्थिति के अनुसार सभी रस अपना-अपना विशेष महत्व रखते हैं। संसार में घटित होने वाली घटनायें मानव हृदय पर अंकित होती रहती हैं जिनको देखकर मानव की प्रकृति और उसकी भावनाओं में परिवर्तन होता रहता है। रामचरितमानस पढ़ते समय जब हम चित्रकूट पर राम और भरत मिलन प्रसंग पढ़ते हैं, तो हमारा हृदय भ्रातृ प्रेम से आप्लावित हो जाता है। राम और रावण के युद्ध प्रसंग को पढ़कर हमारे हृदय में वीरता की भावना जागृत हो जाती है। किसी दीन हीन, विधवा के एकमात्र पुत्र की अकाल मृत्यु सुनकर हमारा भी हृदय नौरव चीत्कार करते हुए करुणा से भर जाता है। अभिमन्यु वध के समय उत्तरा का विलाप पढ़कर कौन सरल हृदय पुरुष ऐसा होगा जिसका हृदय शोक संतप्त न हो जाता हो। इस प्रकार विश्व के रंगमंच पर होने वाली विभिन्न घटनाओं को देखकर अद्भुत, शान्त आदि अनेक रसों से हृदय व्याप्त हो जाता है।