Hindi, asked by chandansingh21101980, 30 days ago

अपने जीवन में दादा दादी नाना नानी कीमत बताइए​

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Answered by guptaashesh4
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दादा-दादी परिवार के सबसे बड़े सदस्य होते हैं। ये अपने परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। ये निस्वार्थ भाव से अपने परिवार की देखभाल करते हैं और उन्हे बेहद प्यार करते हैं।कहते हैं बच्चे की सबसे पहली पाठशाला उसका घर होता हैं और उसके अध्यापक घर के बड़े बुजुर्ग। खेल-खेल में हम अपने दादा-दादी से इतना कुछ सीख लेते हैं जिसका एहसास हमें बड़े होने पर होता हैं।

जैसे किसी के दादा-दादी ने उन्हें गणित की टेबल याद कराई तो किसी ने घर के बुजुर्गों से अख़बार पढ़ना सीखा। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जिनको किताब पढने की आदत अपने दादा-दादी से तोहफ़े के रुप में मिलती हैं।बच्चे कई बार अपनी दिल की बातें माता-पिता से साझा ना करें लेकिन अपने दादा-दादी से ज़रूर करते हैं। उसकी एक वजह यह भी होती हैं कि उन्हें भरोसा होता हैं कि वह उनकी बातों को समझ कर उनकी समस्या को हल कर देंगे और डाँट भी नहीं पड़ेगी।

सच में दादा-दादी के साथ रहना अपने आप में एक अनोखा एहसास हैं, वह न केवल ज्ञान के मोतिया बिखेरते हैं बल्कि हमारे जीवन को प्यार और खुशियों से भी भर देते हैं। उनकी आस पास होने की भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। वह लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनकी तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे रहती हैं।

दादा-दादी के पास अनेकों अच्छी-अच्छी कहानियाँ व कविताएँ होती हैं जिनमें बहुत सारा ज्ञान और जीवन को सफलतापूर्वक जीने का संदेश छुपा होता है। ये अपने ज्ञान और अनुभव को कहानियों के माध्यम से इतने रोचक ढंग से बच्चों के सामने प्रस्तुत करते है कि बच्चे भी उन्हें बड़े चाव से सुनते हैं।

लेकिन कभी भी दादा-दादी की कहानियाँ ख़त्म नही होती । इससे बच्चे की सोचने समझने कि शक्ति तो बढ़ती ही है और साथ ही वो खुद से भी नए-नए विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं। भले ही आज इंटरनेट पर दादी-दादी की कहानियाँ उपलब्ध हैं लेकिन असली मजा तो उनकी की गोद में बैठकर ही सुनने में आता हैं।

आज के आधुनिक जमाने में बच्चों की सोच और उनका बड़ों के प्रति प्यार कहीं खोता जा रहा हैं लेकिन इसके पीछे के जिम्मेदार हम खुद ही हैं। अगर आप बच्चों के सिर पर संस्कारों व विचारों की गठरी बाँध कर रख देंगे तो जाहिर है बच्चे इस को सहन नहीं कर पाएंगे।

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इसलिए आज के बदलते इस लाइफ स्टाइल में दादा-दादी को भी खुद में बदलाव लाना चाहिए। बच्चों को किसी चीज के बारे में समझाने के लिए उनकी उम्र का बनना होगा तभी वह बातों पर गौर करेंगे।

दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते से कई भावनात्मक भावनाएँ जुड़ीं रहती हैं। इनके बीच का प्रेम और बंधन काफी मजबूत होता है। पहले बच्चों को अपने दादा दादी के साथ समय बिताने के लिए काफी समय मिलता था परन्तु आज के जमाने मे बहुत से ऐसे परिवार होते है, जो अपने माँ बाप से अलग रहते हैं, जिस वजह से उनके बच्चों को अपने दादा दादी के साथ समय बिताने को नहीं मिलता है।

जो बच्चे संयुक्त परिवार में रहते हैं, दादा-दादी, नाना-नानी के साथ उनके बचपन की मीठी कहानियाँ और मीठी यादें जुड़ी होती हैं। वहीं जब उनके माता-पिता अपने-अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं।

उस दौरान दादा-दादी ही होते हैं जो माता-पिता से ज्यादा अपने पोता-पोती का ख्याल रखते हैं और उनके बेहतर विकास के लिए उनका पालन-पोषण करते हैं। दादा-दादी के साथ रहने से बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार, अनुशासन की भावना, जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन और प्रेम-सम्मान की भावना आदि का विकास होता है।

दरअसल आज ऐसा युग आया है कि बड़े बुजुर्गों की इज़्ज़त नहीं है क्योंकि हम खुद को बहुत ही आधुनिक सोच का और अपने बुजुर्गों को पुरानी सोच रखने वाला समझते है। हम अपनी इसी नासमझी के कारण अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, पुराने दोस्तों को भूलते जा रहे हैं और प्रेम भाव को भी बिल्कुल खत्म ही कर दिया है।

इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि आजकल के बच्चे दादा दादी के पास बैठने के बजाय अपने वीडियो गेम या गैजेट से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं, इन्हीं सब चीजों में उनका मोह बंध कर रह गया है।

आज के इस डिजिटल युग मे हम यह भूल गए है कि दादा दादी हमारे समाज की एक ऐसी मजबूत कड़ी है जो हमे आपस मे जोड़े हुए है और हमारी संस्कृति को भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने का काम करती है।

चाहे कितना ही वक्त के साथ रिश्तों पर धूल आ जाए, हम बड़े बुजुर्गों के अस्तित्व को कितना ही नकार ले उन्हें नज़रअंदाज़ करे, पर सच बात तो यही है कि दादा दादी फिर भी बच्चों से अत्यंत प्रेम का भाव ही रखते हैं, उनके होंठ हमेशा ही बच्चों के लिए दुआ और प्रार्थना करते रहते हैं और उन प्रार्थनाओं का कोई मोल नहीं होता है।

दादा-दादी और नाना-नानी के महत्व पर निबंध 2

अपने घर के यह बुजुर्ग किसको अच्छे नहीं लगते हैं, इन्हीं से तो हमारे घरों की शोभा बढ़ती है, घरों में रौनक आती है। इन्हीं लोगों के आशीर्वाद से हमारे घर में सुख समृद्धि शांति रहती है। बड़ों की दी हुई दुआ से ही बिगड़े काम सँवर जाते हैं, जीवन जीवंत लगता है।

हम भारत देश में रहते हैं और हम सभी यह जानते हैं कि अपने इस खूबसूरत देश में हम कैसे रिश्तो को संजो कर रखते हैं। रिश्तो का बहुत मान रखते हैं और हमारे देश की संस्कृति यही कहती है।

सिखाती है कि रिश्तो को जोड़ कर रखने में, उनकी इज्जत करने में ही भलाई है। इसी में प्रेम एवं स्नेह झलकता है, रिश्तो के अटूट बंधन से ही हमारी दुनिया बंधी रहती है।

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