Hindi, asked by ItzDeadDeal, 3 months ago

"अपने जीवन से जुड़ी कोई ऐसी घटना बताये जिसे सोचकर आज भी आप हंस पड़ते हैं?

Answers

Answered by ItzSketch
36

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ये तक़रीबन 7–8 साल पहले की बात हैं।

पिताजी, माँ, मेरी बड़ी बहन और मैं पंजाब जा रहे थें अपनी मासी के पास छुटियों के समय।

पिताजी ने माँ को कहा कि बैग और सब समान तैयार रखना पर मेरी माँ को लगा कि हम सब रात को ही पंजाब के लिए निकल जायेंगे, और क्या हम सब तैयार होकर बैठ गये। पिताजी घर आये तो वो बोले ‘ये क्या, आज थोड़ी न बोला था, कल सुबह के लिए बोला था’ ये देख पिताजी ने कहा चलो फिर तब।

सर्दी का समय

पहली घटना

हम सब बाहर ऑटो का इंतज़ार कर रहे थे तभी दो ऑटो आकर खड़े हो गए, जब पिताजी ने पहले वाले से पूछा तो उसने कहा बस अड्डे जाने के लिए 100 रुपए लूंगा, पिताजी मान गए

मज़ा तब, जब हम सब बैठ गए और ऑटो वाला शराबी निकला। :D गाने वो इतनी ज़ोर से चलाए और ऑटो भी, पिताजी ने बोला भाई, थोड़ा धीरे चलाले, ऑटो वाला बोलता ‘अंकल मैं ऐसे ही चलाऊंगा, कुछ नहीं होगा’ ये सुन हम सब चौंक गए, हम सब यही प्रार्थना करेंं बस तू हमें सही सलामत पहुंचा दे। ऑटो से उतरते ही सांस में सांस आई। :)

दूसरी घटना

बस में बैठते ही, मैं, मेरी बहन, मां हम साथ में बैठे थे वही पिताजी पीछे लंबी वाली सीटों में जाकर पीछे बैठ गए।

माँ को पता नहीं क्या हुआ, कुछ देर बाद वो पिताजी के साथ पीछे बैठ गई।

करीबन रात के एक बजे मुझें पीछे से आवाज़ आती हैं ‘मोनू, मोनू’ मैं पीछे मुड़कर देखु तो मेरी माँ सीट से नींचे गिर गयी थीं घुटनो के बल, ये देख हम सब हँस पड़े और पिताजी भी। बस वाले ने ब्रेक ज्यादा जोर से मार दी थीं। हमने माँ को बोला और जाओ पीछे :D

तीसरी घटना

इसे सोचकर मुझें हमेशा हँसी आती हैं।

पंजाब पहुँच जाने के बाद हम सब रिक्शा का इंतज़ार कर रहे थें उसी दौरान रिक्शावाला दिखा

एक रिक्शा में मैं औऱ मेरी बड़ी बहन बैठे थे और दूसरे में माँ और पिताजी।

उस समय मेरी बहन का वज़न 102 किलो था हालाँकि उन्होंने वजन कम कर लिया हैं अब।

जिस रिक्शा में हम बैठे उस समय ऐसा हुआ जिससे मुझे और मेरी बड़ी बहन को शर्मिंदगी हो रही थीं।

हुआ ऐसे, जब रिक्शा वाला रिक्शा चला रहे थें उस दौरान उस बेचारे को पेडल मारने में दिक़्क़त हो रहीं थीं, वो तो आप जानते ही हैं क्यों। :D

पेडल मारते मारते उस रिक्शा वाले का एक पेडल टूट गया हा हा हा औऱ क्या फिर वो एक ही पेडल मारते मारते हमे ले जा रहा था, ये देख आस पास के लोग भी देखें :D

तभी मासी के बड़े बेटे आ गए बाइक लेकर, उन्होंने दोनों से पूछा कोई भी एक आ जाओ। ये सुन मेरी बहन ने मना कर दिया और बिना देरी किए, मैं बैठ गई। :D

मेरी बहन को वो बेचारा रिक्शा वाला टूटा पेडल चला कर लेकर आए। :D

वो और कोई नहीं

Answered by Anonymous
3

Answer:

2011 की बात है ,मेरे बड़े बेटे सागर की नई नई मंगनी हुई थी .

मनपसंद परिवार और सर्वगुण संपन्न कन्या के मिलने पर हमारा पूरा परिवार बेहद खुश था.

उन दिनों क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी अपने चरम पर थे .हर कोई उनके अंदाज की नकल करता था.

हमारे सुपुत्र साहब साहब ने भी धोनी की तरह कानों तक लंबे लंबे बाल रखे हुए थे.

स्वाभाविक रूप से नई नई मंगनी और वह भी मनचाही कन्या से… लड़की की ज़रा सी बात छिड़ने पर सुपुत्र महोदय "ब्लश" करने लगते थे

मुझे भी यह देख कर बहुत अच्छा लगता था और मन ही मन संतुष्टि का अहसास होता था.

उन दिनों में मैं मिलों में जॉब वर्क करवाता था और उसी कारण से ज्यादातर ऑफिस से बाहर रहता था.

मेरे पिताश्री ऑफिस में गद्दी पर बैठते थे ,और मेरा बेटा सागर उन्हीं के पास लगी टेबल चेयर और कंप्यूटर पर बैठकर ऑफिस के काम निपटाता था.

मुझे मिले समाचारों के अनुसार हमारे सुपुत्र महोदय दिन में कई बार अपनी मंगेतर से सेल फोन पर बात करते थे.

एक दो बार मैंने भी देखा कि उस की मंगेतर का फोन आने पर जनाब झपट कर ऑफिस से बाहर भागते और ऑफिस के बाहर बने लंबे दालान में टहलते हुए दस पंद्रह मिनट तक बातें करते रहते थे.

लेकिन हमारे परिवार में यह सब सामान्य था और बात करने पर कोई पाबंदी नहीं थी.

हमारे विशाल संयुक्त परिवार में बेटे की यह पहली शादी थी इसीलिए संपूर्ण परिवार कुछ ज्यादा ही उत्साहित था.

रोज शाम को मेरे चाचा और ताऊ के बेटे बेटियां मेरे घर में इकट्ठे हो जातेऔर शादी में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करते .

सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था अचानक एक दिन मेरे पिताश्री ने मुझे अपने कमरे में रहस्यमय इशारे से बुलाया.

अंदर बुला कर कमरे की चिटकनी बंद कर दी ,उनके चेहरे पर बेहद तनाव था, मुझे पलंग पर अपने सामने बिठा कर बोले.

आजकल तुमने सागर को ध्यान से देखा है??? मेरे पिता ने उत्सुकता से पूछा

हाँ रोज देखता हूँ …मैंने बेहद सामान्य अंदाज में जवाब दिया

बच्चे की हालत ठीक नहीं है…इतना कहते-कहते मेरे पिता सुबक पड़े …80 साल की उम्र में उनकी सूखी आँखों से आँसू फूट पड़े .

मैं बुरी तरह घबरा गया.

क्योंकि ,मेरे लिए यह बिल्कुल असामान्य घटना थी क्योंकि मेरे पिता एक मजबूत मनोबल वाले इंसान हैं और अच्छी खासी दुखद घटना पर भी उनकी आँखों में आँसू नहीं आते

तुम जल्दी कुछ करो बच्चे की हालत ठीक नहीं है …इतना करते करते हैं उन्होंने अपने काँपते हाथों से मेरा हाथ थाम लिया.

अरे लेकिन सागर को हुआ क्या है??? मैं बदहवासी में जोर से चिल्लाया.

लेकिन वह कुछ बताने को राजी नहीं थे और लगातार रोए जा रहे थे.

लेकिन मैं अंदर ही अंदर बुरी तरह घबरा गया था.

कुछ बोलोगे भी या सिर्फ रोते ही रहोगे ???मैंने इस बार झल्लाते हुए कहा.

उन्होंने जवाब में अपनी कनपटी पर दो-तीन बार टैप किया और हाथ घुमाते हुए इशारा किया , इसका मतलब था "बच्चा दिमाग से गया"…

क्या???यह आप क्या बकवास कर रहे हो???मैंने उत्तेजना में शालीनता की सीमा पार कर दी.

अरे मैं कह रहा हूँ बच्चे का दिमाग हिल गया है ,लगता है किसी हरामजादे ने कुछ कर दिया है बच्चे के ऊपर …पिताजी अभी भी दाएं बाएं सर घुमाते हुए अविश्वास की मुद्रा में लगातार कुछ बड़बड़ाए जा रहे थे.

मुझे उनकी बात पर जरा भी विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि सागर बातचीत में एकदम सामान्य था.

दिनभर अपने आप से बातें करता रहता है…ऑफिस के बाहर बरामदे में जेब में दोनो हाथ डालकर दाएं बाएं चक्कर काटता रहता है. बिना बात के हँसता रहता है… ठहाके मारता रहता है.

हे भगवान…मेरे हँसते खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई??? इतना कह कर पिताजी ने अपने दोनों हाथ अपने चेहरे पर रख लिये.

देर रात मैं सागर के कमरे में गया.

पिताजी का शक सही था ,

जनाब सर झुकाए अपने आप से बातें करते हुए , मुस्कराते हुए अपने कमरे में ही टहल रहे थे.

किससे बातें कर रहे हो ??? मैंने पूछा

स्वाति से … सागर ने सामान्य तरीके से जवाब दिया और अपने लंबे बालों के नीचे दाएं कान से cordless earpod निकाला .

क्या हुआ पापा ? कुछ प्रॉब्लम है क्या ??? सागर ने चिंतित स्वर में पूछा ….

मैंने मुस्कुराते हुए अपनी जीभ को अपने दांतो तले दबा लिया और अपने सर पर हाथ रख कर कहा…

प्रॉब्लम है नहीं ,

थी … सॉल्व हो गई !!!

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