Hindi, asked by sahajbhansali713, 18 hours ago

अपनी कोई नादानी का किस्सा 40-50 शब्द लिखाओ ​

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Answered by kumarjatin830700
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Answer:

mainai Galti sai ek boy ko chai ki bajae milk de diya

Answered by sahilkadavekar484
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Answer:

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .

एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे ...

हम तो अल्हड-अलबेले थे ,खुद जैसे निपट अकेले थे ,

मन नहीं रमा तो नहीं रमा ,जग में कितने ही मेले थे ,

पर जिस दिन प्यास बंधी तट पर ,पनघट इस घट में अटक गया .

एक इंगित ने ऐसा मोड़ा,जीवन का रथ, पथ भटक गया ,

जिस "पागलपन" को करने में ज्ञानी-ध्यानी घबराते है ,

वो पागलपन जी कर खुद को ,हम ज्ञानी-ध्यानी कर बैठे.

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .

एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे .

परिचित-गुरुजन-परिजन रोये,दुनिया ने कितना समझाया

पर रोग खुदाई था अपना ,कोई उपचार ना चल पाया ,

एक नाम हुआ सारी दुनिया ,काबा-काशी एक गली हुई,

ये शेरो-सुखन ये वाह-वाह , आहें हैं तब की पली हुई

वो प्यास जगी अन्तरमन में ,एक घूंट तृप्ति को तरस गए ,

अब यही प्यास दे कर जग को ,हम पानी-पानी कर बैठे .

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .

एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे .

क्या मिला और क्या छूट गया , ये गुना-भाग हम क्या जाने ,

हम खुद में जल कर निखरे हैं ,कुछ और आग हूँ क्या जाने ,

सांसों का मोल नहीं होता ,कोई क्या हम को लौटाए ,

जो सीस काट कर हाथ धरे , वो साथ हमारे आ जाए ,

कहते हैं लोग हमें "पागल" ,कहते हैं नादानी की है ,

हैं सफल "सयाना" जो जग में , ऐसी नादानी कर बैठे

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .

एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे .

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