अपने किसी दिन के विवरण को डायरी के रुप में लिखिए।
Answers
Answered by
0
लखनऊ
27 अगस्त, 2018
रेल-यात्रा का सारा मजा ही किरकिरा हो गया जब कानपुर में मैंने अपनी कटी हुई जेब देखी। पटना से चलते समय तक तो मेरे सारे रुपये महफूज थे। मुझे लगता है कि मुगलसराय से इलाहाबाद के बीच अतिशय भीड़ भाड़ में ही मेरी पॉकेटमारी हुई। पाँच हजार मासिक वेतन कमानेवाले के लिए दो हजार रुपये निकल जाना कितना दुखदायी होता है- यह मुझसे ज्यादा कौन अनुभव कर सकता है ? लौटती बार माताजी के लिए दवाई भी लानी थी। समझ में नहीं आता अब इसका बन्दोबस्त कैसे हो पाएगा। अब तो मुझे हर यात्री पॉकेटमार ही नजर आता है।
Similar questions