अपने कुत्ते के घुम हो जाने पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
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जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता : मानवीय रिश्ते खुद में कभी कभी पशु पक्षियों को भी समेट लेते हैं तो उनकी संवेदना को नया आयाम मिल जाता है। मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दो बैलों की कथा' में लेखक ने इसी संवेदना को उकेरा है। बीते तीन दिनों से मयनागुड़ी के देवीनगर के दे सरकार परिवार में मायूसी छाई हुई है। यह मायूसी इनके पालतू कुत्ते रॉकी के लापता हो जाने से उपजी है जिसके लिए यह परिवार उदासीनता के दिन रात गु़जार रहा है। यह कुत्ता परिवार का अभिन्न सदस्य हो चुका था। इससे परिवार के छोटे बड़े सभी का अटूट रिश्ता कायम था। इसलिए उसका वियोग इस परिवार के लिए असहनीय हो गया है। हर समय परिवार के सदस्यों की आंखें सड़क की ओर लगी रहती हैं, पता नहीं कब रॉकी वहां आ जाए। प्रियजनों के बिछुड़ने का जो दर्द है वही इस परिवार को साल रहा है। परिवार के मुखिया बाप्पा दे सरकार और उनकी पत्नी अंजना देवी तो दुखी हैं ही, छह वर्षीया बच्ची संचिता। वह ठीक से खाना भी नहीं खा रही है अपने प्यारे रॉकी के लिए। टीवी पर विज्ञापन दिया गया है ताकि कोई उसके बारे में सूचना दे सके। सुराग देने वाले को परिवार के मुखिया पुरस्कृत करेंगे। थाने में गुमशुदगी की रपट लिखाने पर परिवार विचार कर रहा है।
पेशे से तेल व्यवसायी बाप्पा दे सरकार मयनागुड़ी के पुरातन बाजार के सामने से देसी पिल्ले को लाए थे। उसका नाम सभी ने मिलकर रॉकी रखा तो लगा जैसे परिवार में खुशियां आ गई। पिछले डेढ़ साल से यह परिवार रॉकी को एक बच्चे की तरह स्नेह की छाया तले पाल रहा था। बाप्पा दे सरकार ने बताया कि सोमवार की सुबह जब वह रोज की तरह रॉकी को घुमाने के लिए लेने गए तो वहां रॉकी लापता था। काफी खोजबीन करने पर भी उसका कोई सुराग नहीं मिला। परिवार वालों को आशंका है कि उसका किसी ने अपहरण कर लिया होगा। कारण, उनके मकान के सामने मोटरसाइकिल लेकर दो युवकों को टहल लगाते हुए देखा गया था।