अपनी कक्षा में इस शीर्षक क्या वाइरस सजीव है अथवा निर्जीव, पर चर्चा करें?
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"इवानोवस्की" द्वारा खोजे गए वाइरस की सजीवता व निर्जीवता पर चर्चा करने पर निम्न बिंदु प्राप्त हुए जिनमें कुछ सजीव के पक्ष में तथा कुछ निर्जीव के पक्ष में है। अर्थार्त कुछ यह कुछ सजीव लक्षण तथा कुछ निर्जीव लक्षण प्रदर्शित करता है जो निम्न है -
वाइरस के सजीव लक्षण-
1.इनमें डीएनए अथवा आरएनए पाया जाता है।
2.इनमें उत्परिवर्तन द्वारा विभिन्नताएं उत्पन होती है।
3.यह उद्दीपनों (ताप,विकिरण,रासायनिक पदार्थ) के प्रति अनुक्रिया करते है।
वाइरस के निर्जीव लक्षण-
1.उपापचयी क्रिया एन्ज़ाइम के अभाव के कारण स्वतंत्र रूप से नहीं हो पाती है।
2.जीवित कोशिका के संपर्क में आने से पहले तथा समारक समाप्त होने के बाद यह निर्जीव अवस्था में पाए जाते है।
3.इनमें कोशा अंगक नहीं पाए जाते।
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5
विषाणु:-
विषाणु को पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाला प्रथम जीव सदृश्य रचना माना जाता हैं। क्योंकि यह पृथ्वी पर प्रकट होने वाली। ऐसे प्रथम इकाइयां है जिन में सर्वप्रथम जीवन के लक्षण पाए गए।
वर्गीकरण की दृष्टि से विचारों को जीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी मानते हैं।क्योंकि विषाणु जीव कोशिका के बाहर निर्जीव रासायनिक पदार्थ की तरह होते हैं। फतेह जीव कोशिका के अंदर यह एक परजीवी के समान व्यवहार करते हैं।
विषाणु के निर्जीविता के लक्षण :-
१. विषाणुओ का शरीर कोशिकीय संरचनाओं को प्रदर्शित नहीं करता है।
२. यह श्वसन क्रिया नहीं करते हैं।
३. इनमें में वृद्धि की क्रिया नहीं होती है।
४. इनमें पोषण उत्सर्जन जैसी क्रियाओं का पूर्णतया अभाव होता है।
५. इनमें जीवद्रव्य तथा किसी भी प्रकार की कोशिकाओं का अर्थ होता है।
६. इनका रवाकरण ( crystallisation) संभव होता है।
विषाणु के सजीव के समान लक्षण:-
१. विषाणु ताप के प्रति संवेदनशील होते हैं।
२. यह न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन के बने होते हैं।
३. इनका न्यूक्लिक अम्ल (DNA and RNAआनुवंशिक पदार्थ की तरह कार्य करता है।
४. इसकी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के सदस्यों के बीच संरचनात्मक समांता पाई जाती है तथा संरचना लक्षण अनुवांशिक रुप से निर्धारित किए जाते हैं।
५. यह जीवन में संक्रमण द्वारा बीमारी फैलते हैं।
६. इनमें गुणन की प्रक्रिया पाई जाती है ।
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@GauravSaxena01
विषाणु को पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाला प्रथम जीव सदृश्य रचना माना जाता हैं। क्योंकि यह पृथ्वी पर प्रकट होने वाली। ऐसे प्रथम इकाइयां है जिन में सर्वप्रथम जीवन के लक्षण पाए गए।
वर्गीकरण की दृष्टि से विचारों को जीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी मानते हैं।क्योंकि विषाणु जीव कोशिका के बाहर निर्जीव रासायनिक पदार्थ की तरह होते हैं। फतेह जीव कोशिका के अंदर यह एक परजीवी के समान व्यवहार करते हैं।
विषाणु के निर्जीविता के लक्षण :-
१. विषाणुओ का शरीर कोशिकीय संरचनाओं को प्रदर्शित नहीं करता है।
२. यह श्वसन क्रिया नहीं करते हैं।
३. इनमें में वृद्धि की क्रिया नहीं होती है।
४. इनमें पोषण उत्सर्जन जैसी क्रियाओं का पूर्णतया अभाव होता है।
५. इनमें जीवद्रव्य तथा किसी भी प्रकार की कोशिकाओं का अर्थ होता है।
६. इनका रवाकरण ( crystallisation) संभव होता है।
विषाणु के सजीव के समान लक्षण:-
१. विषाणु ताप के प्रति संवेदनशील होते हैं।
२. यह न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन के बने होते हैं।
३. इनका न्यूक्लिक अम्ल (DNA and RNAआनुवंशिक पदार्थ की तरह कार्य करता है।
४. इसकी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के सदस्यों के बीच संरचनात्मक समांता पाई जाती है तथा संरचना लक्षण अनुवांशिक रुप से निर्धारित किए जाते हैं।
५. यह जीवन में संक्रमण द्वारा बीमारी फैलते हैं।
६. इनमें गुणन की प्रक्रिया पाई जाती है ।
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@GauravSaxena01
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