अपने लिए जिए तो क्या जिस . स्वार्थी होता मनुष्य प्रकृति से सीख उदारता का महत्व • दूसरों के लिए जीना ही मनुष्यता
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अपने लिए जिए, तो क्या जिए
प्रस्तावना— अपने लिए जिए, तो क्या जिए। इस वाक्य का अर्थ है निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने को ही परोपकार कहा जाता है| जब हम बिना किसी मतलब और दूसरों से बिना कोई अपेक्षा किये उनके लिए कुछ करते हैं तो हमारे द्वारा किया गया ऐसा कार्य परोपकार की श्रेणी में आता है| परोपकार का सबसे अच्छा उदाहरण है प्रकृत्ति। परोपकार की भावना को समझने के लिए प्रकृति से बेहतर उदाहरण कोई दूसरा हो ही नहीं सकता है प्रकृति के कण-कण में परोपकार की भावना है। जैसे धरती, समुद्र, वृक्ष, आकाश और नदियां मानव जातिको बहुत कुछ दे रहे हैं लेकिन इसके बदले में वे हमसे कुछ नहीं लेते|
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