अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक पार्टी क्या क्या काम करती है
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राजनीतिक दल प्रजातन्त्र की आधारशिला हैं। इन्हें प्रजातन्त्र का प्राण’ तथा ‘सरकार का चतुर्थ अंग’ कहा गया है। यही कारण है कि लोकतन्त्रीय शासन को दलीय शासन भी कहा गया है।
अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक पार्टी साधारणतया निम्नलिखित कार्य करते है:-
(1) सुदृढ़ संगठन स्थापित करना:
“संगठन में ही शक्ति निहित होती है और कोई भी राजनीतिक दल सुदृढ़ संगठन के बिना अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। अत: प्रत्येक राजनीतिक दल का प्रथम कार्य अपना संगठन स्थापित करना और उसे अधिकाधिक सुदृढ़ करना होता है।
इस दृष्टि से राजनीतिक दल केन्द्रीय, प्रान्तीय और स्थानीय स्तर पर संगठन स्थापित करते और इन सभी इकाइयों को एक-सूत्र में पिरोते हैं।
(2) दलीय नीति निर्धारित करना :
प्रत्येक राजनीतिक दल की अपनी एक नीति और एक विचारधारा होना आवश्यक है। अतः राजनीतिक दल बाहरी क्षेत्र में वैदेशिकी सम्बन्धों और आन्तरिक क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, खाद्य, यातायात, शिक्षा, रोजगार और अन्य प्रमुख बातों के सम्बन्ध में अपनी नीति निर्धारित करता है।
इसके साथ ही राजनीतिक दल यह भी स्पष्ट करता है कि विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में उसकी नीति ही क्यों सबसे अधिक उचित है।
(3)दलीय नीति का प्रचार और प्रसार कर अपनी शक्ति बढ़ाना :
राजनीतिक दल का लक्ष्य मत पेटी के तरीके से सत्ता प्राप्त करना होता है और इसके लिए उनके द्वारा अपनी दलीय नीति का अधिक-से-अधिक प्रचार और प्रसार किया जाता है।
राजनीतिक दल इस बात की कोशिश करता है कि उसके दल के सदस्यों की संख्या में अधिक-से-अधिक वृद्धि हो।
4. लोकमत का निर्माण –
वर्तमान समय की जटिल सार्वजनिक समस्याओं को राजनीतिक दले जनता के सामने ऐसे रूप में प्रस्तुत करते हैं कि साधारण जनता उन्हें समझ सके।
जब विविध राजनीतिक दल समस्याओं के सम्बन्ध में अपने दृष्टिकोण का प्रतिपादन करते हैं, तो साधारण जनता इन समस्याओं को भली प्रकार समझकर निर्णय कर सकती है और स्वस्थ लोकमत का निर्माण सम्भव होता है।
5.जनता और शासन के बीच सम्बन्ध –
लोकतन्त्र का आधारभूत सिद्धान्त जनता और शासन के बीच सम्पर्क बनाये रखना है और इस प्रकार का सम्पर्क स्थापित करने का सबसे बड़ा साधन राजनीतिक दल ही है।
प्रजातन्त्र में जिस दल के हाथ में शासन शक्ति होती है, उसके सदस्य जनता के मध्य सरकारी नीति का प्रचार कर जनमत को पक्ष में रखने का प्रयत्न करते हैं।
विरोधी दल शासन के दोषों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करते हैं।
6.शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करना अध्यक्षात्मक शासन में राजनीतिक दल कार्यपालिका और विधानमण्डल के बीच मेल बनाये रखते हैं।
इन दलों के अभाव में अध्यक्षात्मक शासन ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर सकता।
इस व्यवस्था वाले देशों में राजनीतिक दल व्यवस्थापिका और कार्यपालिका दोनों पर प्रभाव रखते हैं और इनके बीच उत्पन्न होने वाले विरोध को दूर करते हैं।
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