-अपनी मां के साथ रसोई घर में काम करते हुए संवाद लिखिए ।
Answers
Explanation:
सुनो,मेरी रोटियाँ गोल हो गयीं।
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और जो मेरी बेबाक बातें थीं ना,
वो भी अब नपे-तुले बोल हो गयीं।
मेरी वो नाज़ुक-सी नरमी
अब मेरी सख़्ती का खोल हो गयी।
लेकिन देखो रोटियाँ तो एकदम गोल हो गयीं।।
सच्ची-मुच्ची की वो सारी बातें,
कभी पंक्तियाँ और कभी पंक्तियों के बोल हो गईं।
सोचती हूँ,मैं छोटी,नादान ही क्या कम कमाल थी,
जो समझदारी आते ही,
बेमिसाल हो गयी(#अपनी प्रशंसा स्वयं करो)
और इन सबके ऊपर-से मेरी रोटियाँ भी
एकदम गोल हो गयीं।।
माँ कहती हैं कि मेरी हँसी तो हमेशा से ही बड़ी प्यारी थी,
पर अब पापा भी कहने लगे हैं कि ये हंसी बड़ी अनमोल हो गयी।
और देखो रोटियां भी इसकी कितनी गोल हो गईं।।
जो दिल में मेरे रहते हैं उनके लिए खास तो मैं हमेशा से थी
पर अब अपनी ही फिल्म की मेन लीड हीरोइन भी हो गयी।
और फ़ुरसत मिले तो मेरी रोटियाँ खा के देखना कभी,
क्योकि मेरे हाथ की रोटियाँ वाक़ई एकदम गोल हो गईं।।
-अनुराधा शर्मा
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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